Highlights
- आर्थिक सर्वेक्षण का डाटा केंद्रीय बजट के लिए एक दृष्टिकोण प्रदान करता है
- आसान भाषा में समझें तो इकोनॉमिक सर्वे मौजूदा वित्त वर्ष का एक लेखा-जोखा होता है
- 1964 से वित्त मंत्रालय बजट से एक दिन पहले सर्वेक्षण जारी करता आ रहा है
नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र की शुरूआत सोमवार को संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रपति रामनाथ गोविन्द के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में संबोधन के साथ होगी। सत्र के पहले दिन 31 जनवरी को राष्ट्रपति अभिभाषण के बाद दोनों सदनों में आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) पेश किया जाएगा। आइए समझते हैं कि आर्थिक सर्वेक्षण का क्या महत्व है और इसके जरिये सरकार किस तरह का बजट पेश करेगी उसका आकलन कैसे कर सकते हैं।
क्या होता है इकोनॉमिक सर्वे
आसान भाषा में समझें तो इकोनॉमिक सर्वे मौजूदा वित्त वर्ष का एक लेखा-जोखा होता है। उदाहरण के तौर पर इस साल एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जो बजट पेश करने जा रही हैं, वह आगामी वित्त वर्ष 2022-23 के लिए होगा, लेकिन सोमवार को जो आर्थिक सर्वे पेश किया जाएगा वह मौजूदा साल 2021-22 के लिए है। इसमें पूरे साल के आर्थिक विकास का लेखा-जोखा होगा। पहली बार देश का आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में पेश किया गया था। 1964 से वित्त मंत्रालय बजट से एक दिन पहले सर्वेक्षण जारी करता आ रहा है। इस रिपोर्ट को डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स यानी DEA की तरफ से तैयार किया जाता है।
इन विषयों की दी जाती है जानकारी
इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट में यह जानकारी भी दी जाती है कि मनी सप्लाई का ट्रेंड क्या है, इसके अलावा कृषि, औद्योगिक उत्पादन, बुनियादी ढांचा, रोजगार, निर्यात, आयात, विदेशी मुद्रा के मुद्दे पर अर्थव्यवस्था की वर्तमान हालत क्या है। यह दस्तावेज सरकार का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, जो अर्थव्यवस्था की प्रमुख चिंताओं पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
बजट कैसा होगा आकलन कर सकते हैं आप
इकोनॉमिक सर्वे देखकर आप आकलन कर सकते हैं कि सरकार का जोर इस बार किस सेक्टर पर अधिक होगा। आर्थिक सर्वेक्षण का डाटा और विश्लेषण आमतौर पर केंद्रीय बजट के लिए एक नीतिगत दृष्टिकोण प्रदान करता है।