देशभर में टमाटर की कीमतें 80 रुपये प्रति किलोग्राम के पार पहुंचने के बीच भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तहत बेंगलुरु स्थित एक संस्थान द्वारा विकसित इसकी दो संकर किस्में, संभावित रूप से भविष्य के संकट से बचा सकती हैं। सोमवार को एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी है। हालांकि, इस बात की सफलता, इसे व्यापक रूप से अपनाने और खेती के रकबे में वृद्धि पर निर्भर करती है। भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR) द्वारा विकसित संकर टमाटर की किस्में अर्का रक्षक और अर्का अभेद, तीन सप्ताह तक की प्रभावशाली ‘शेल्फ लाइफ’ (खराब न होने) का दावा करती हैं, जो पारंपरिक 7-10 दिन की तुलना में काफी अधिक है। यह विशेषता, अनियमित मौसम पद्धति, विशेष रूप से भारी बारिश से बाधित आपूर्ति श्रृंखलाओं को स्थिर करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
3 हफ्ते है सेल्फ लाइफ
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने संस्थान के 96वें स्थापना एवं प्रौद्योगिकी दिवस समारोह के अवसर पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने टमाटर की एक ऐसी किस्म विकसित की है, जिसकी ‘शेल्फ लाइफ’ (खराब नहीं होने की समयावधि) तीन सप्ताह है। हमें इन किस्मों के तहत रकबे का विस्तार करने की आवश्यकता है।’’ पाठक ने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन अक्सर टमाटर, आलू और प्याज जैसी मुख्य सब्जियों के उत्पादन को प्रभावित करते हैं। जवाब में, आईसीएआर के शोध ने आपूर्ति में उतार-चढ़ाव और उसके बाद कीमतों में उतार-चढ़ाव को कम करने के लिए फसल के खराब नहीं होने की समयावधि को बढ़ाने को प्राथमिकता दी है।
ट्रिपल रोग प्रतिरोधी टमाटर
आईआईएचआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक चंद्रशेखर सी के अनुसार, वर्ष 2012 में विकसित भारत का पहला ट्रिपल रोग प्रतिरोधी टमाटर एफ-1 हाइब्रिड अर्का रक्षक वर्तमान में 7,000 हेक्टेयर में उगाया जाता है। इस हाइब्रिड तकनीक का लाइसेंस 11 कंपनियों को दिया गया है, जिनके बारे में अनुमान है कि वर्ष 2012-22 के दौरान बीज की बिक्री से इनका कारोबार 3,600 करोड़ रुपये रहा है। तीन साल पहले जारी अर्का अबेध तीन सप्ताह की लंबी ‘शेल्फ लाइफ’ प्रदान करता है और दूरदराज के बाजारों के लिए उपयुक्त है। दोनों किस्में - टमाटर लीफ कर्ल वायरस, बैक्टीरियल विल्ट और अर्ली ब्लाइट सहित कई बीमारियों के लिए प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती हैं। हालांकि, ये संकर किस्में आशाजनक हैं, लेकिन बाजार की कीमतों को स्थिर करने में उनकी सफलता काफी हद तक किसानों के बीच व्यापक रूप से इन्हें अपनाने और बढ़ावा देने की सरकारी पहल पर निर्भर करेगी। आईआईएचआर ने हाल ही में बीज की बिक्री और कवरेज बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय बीज निगम के साथ साझेदारी की है।