इजराइल-हमास संघर्ष अब लेबनान, सीरिया होते हुए ईरान तक फैल गया है।अप्रत्यक्ष रूप से जॉर्डन और कई और देशों को प्रभावित कर रहा है। पश्चिम एशियाई देशों के बीच जारी युद्ध का असर दुनियाभर के कारोबारी जगह पर हो रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के अनुसार, कहा कि संघर्ष पहले से ही इजरायल, जॉर्डन और लेबनान जैसे देशों के साथ भारत के व्यापार को नुकसान पहुंचा रहा है। निर्यातकों के प्रमुख संगठन फियो ने कहा कि ईरान-इजरायल संघर्ष में कई तरीकों से विश्व व्यापार और वैश्विक अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने की क्षमता है।
भारत में ये सामान हो सकते हैं महंगे
पश्चिम एशियाई देशों को भारत के निर्यात की प्रमुख वस्तुओं में बासमती चावल, मानव निर्मित धागा, कपड़े, रत्न और आभूषण, सूती धागे और कपड़े शामिल हैं। भारत एशिया में इजरायल का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। हालांकि, द्विपक्षीय व्यापारिक व्यापार में मुख्य रूप से हीरे, पेट्रोलियम उत्पाद और रसायन हावी हैं। हाल के वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी और उच्च तकनीक वाले उत्पादों, संचार प्रणालियों और चिकित्सा उपकरणों जैसे क्षेत्रों में व्यापार में वृद्धि देखी गई है। इजराइल-ईरान और रूस-युक्रेन युद्ध के चलते इन सामानों और इनसे जुड़े प्रोडक्ट्स के दाम भारत में बढ़ सकते हैं।
बीमा लागत भी बढ़ने का अंदेशा
निर्यातकों का कहना है कि पश्चिम एशियाई क्षेत्र में संघर्ष बढ़ने से पहले से ही ऊंची लॉजिस्टिक्स लागत और बढ़ने के साथ ही कच्चे तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि जैसे क्षेत्रों में व्यापार को नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि युद्ध में सीधे तौर पर शामिल देशों को निर्यात के लिए बीमा लागत भी बढ़ सकती है, जिसका भारतीय निर्यातकों की कार्यशील पूंजी पर असर पड़ेगा। जनवरी-जुलाई, 2024 के दौरान, संघर्ष से सीधे प्रभावित देशों के साथ भारत के व्यापार को महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘इजराइल के निर्यात में 63.5 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है। इसके असर से जॉर्डन में 38.5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई और लेबनान में 6.8 प्रतिशत की कमी आई है।’’ अक्टूबर, 2023 में शुरू हुआ इज़राइल-हमास संघर्ष अब लेबनान, सीरिया तक फैल गया है और अप्रत्यक्ष रूप से जॉर्डन और ईरान को प्रभावित कर रहा है।