
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत दुनियाभर के अधिकांश देशों पर भारी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इसके जवाब में दुनिया के दूसरे देश अमेरिकी सामान पर शुल्क बढ़ाने का ऐलान करने लगे हैं। हालांकि, भारत ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस बीच अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि अमेरिका द्वारा शुल्क बढ़ाने से भारत में महंगाई बढ़ने और रोजगार जाने का जोखिम नहीं है। यह उन देशों को ज्यादा प्रभावित कर सकता है जो मुख्य रूप से सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) के दर्जे के तहत अमेरिका के साथ व्यापार करते रहे हैं। भारत के पास अधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य पर वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने का अवसर है। इसका कारण बांग्लादेश, श्रीलंका और वियतनाम जैसे देशों के मुकाबले भारत पर लगाये गये शुल्क का कम होना है।
प्रभाव का आकलन करना अभी जल्दबाजी
अमेरिकी शुल्क के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव के बारे में प्रतिष्ठित शोध संस्थान आरआईएस (विकासशील देशों की अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली) के महानिदेशक प्रो.सचिन चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘वैश्विक और भारतीय दोनों अर्थव्यवस्थाओं पर इसके पूर्ण प्रभाव का आकलन करना अभी जल्दबाजी होगी, क्योंकि ये व्यापार उपाय अभी विकसित हो रहे हैं। भारत इस नई व्यापार वास्तविकता के साथ सक्रिय रूप से तालमेल बैठा रहा है। यह उन देशों को ज्यादा प्रभावित कर सकता है जो मुख्य रूप से सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) के दर्जे के तहत अमेरिका के साथ व्यापार करते रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि अमेरिका के शुल्क लगाये जाने से भारतीय घरेलू बाजार में महंगाई बढ़ने और रोजगार जाने का जोखिम कम है। भारत का अमेरिका को कुल निर्यात 75.9 अरब डॉलर का है। इसमें से फार्मास्युटिकल (आठ अरब डॉलर), कपड़ा (9.3 अरब डॉलर) और इलेक्ट्रॉनिक्स (10 अरब डॉलर) जैसे प्रमुख क्षेत्रों में स्थिर मांग बनी रहेगी।’’
भारत पर 26 प्रतिशत शुल्क लगाया गया
चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘ महत्वपूर्ण बात यह है कि अमेरिका को निर्यात करने वाले क्षेत्रों में औषधि क्षेत्र महत्वपूर्ण है और इसे छूट की श्रेणी में रखा गया है। इसके अलावा, भारत पर 26 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है, जिससे बांग्लादेश (37 प्रतिशत जवाबी शुल्क), श्रीलंका (44 प्रतिशत) और वियतनाम (46 प्रतिशत) जैसे प्रतिस्पर्धी देशों के मुकाबले तुलनात्मक रूप से शुल्क लाभ प्राप्त है। इसलिए भारत के पास अधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य पर अपनी बाजार उपस्थिति का विस्तार करने का अवसर है।’’ जाने-माने अर्थशास्त्री और मद्रास स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के निदेशक प्रो.एन आर भानुमूर्ति ने कहा, ‘‘चीजें अभी भी विकसित हो रही है और देखना होगा कि क्या कोई देश भी जवाबी शुल्क लगाएगा। चीन ने इस दिशा में कदम उठाया है और कनाडा ने कुछ समय पहले जवाबी शुल्क लगाया है। इस लिहाज से इस समय अर्थव्यवस्थान पर पड़ने वाले प्रभावों का आकलन करना मुश्किल है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, यह तय है कि अल्पावधि में अमेरिका में मुद्रास्फीति बढ़ेगी। कुछ लोग अमेरिका में मंदी की भविष्यवाणी कर रहे हैं। फेडरल रिजर्व ने पहले ही कहा है कि मुद्रास्फीति बढ़ सकती है और उन्हें 2024 के अंत में शुरू की गई उदार मौद्रिक नीति के रुख छोड़ना पड़ सकता है। लेकिन वैश्विक वृद्धि और मुद्रास्फीति पर इसका कितना असर होगा, यह देखने के लिए हमें इंतजार करना होगा।
लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में भारत
एक अन्य सवाल के जवाब में आरबीआई निदेशक मंडल के सदस्य की भी जिम्मेदारी संभाल रहे चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘भारत नौकरी खोने के बजाय बदलते व्यापार परिदृश्य से लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में है। भारतीय प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के बाद, एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) की घोषणा की गई, जो व्यापार नीतियों को सुव्यवस्थित करेगा और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देगा। इसके अतिरिक्त, भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) में अमेरिकी भागीदारी भारत के लिए नये अवसर बनाती है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘रोजगार, घरेलू मांग और निर्यात दोनों का प्रतिफल है। चूंकि भारत से अमेरिका को निर्यात करने वाले प्रमुख क्षेत्रों को या तो शुल्क से छूट दी गई है या प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में शुल्क वृद्धि कम है। ऐसे में भारत में लोगों की नौकरियां जाने की आशंका नहीं है। इसके बजाय, भारत इन उद्योगों में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल कर सकता है।’’