Thursday, October 31, 2024
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Bank से कर्ज लेकर नहीं चुकाने वाले की खैर नहीं, ED ने 185 करोड़ की संपत्ति बैंकों को लौटायी

एजेंसी ने कहा कि अदालत ने 25 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया। इसमें पीएमएलए की धारा 8(7) के अनुसार आरोपियों को ‘भगोड़ा अपराधी’ घोषित किये जाने के कारण आधिकारिक परिसमापक के माध्यम से कर्ज देने वाले बैंकों के समूह को कुर्क की गई संपत्तियों को वापस करने की अनुमति दी गई।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: October 31, 2024 8:08 IST
ED- India TV Paisa
Photo:FILE प्रवर्तन निदेशालय

बैंक से कर्ज लेकर नहीं चुकाने वाले पर सख्ती बढ़ गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) लोन नहीं चुकाने वाले की संपत्ति कुर्क कर बैंकों को लौटा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को कहा कि उसने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह को 185 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति ‘लौटा’ दी है। इस मामले में चंडीगढ़ की दवा कंपनी ने कथित तौर पर कर्ज धोखाधड़ी के जरिये जालसाजी की थी। यह मामला सूर्या फार्मास्युटिकल लि.से संबंधित है। कंपनी वर्तमान में परिसमापन प्रक्रिया से गुजर रही है। इसके निदेशकों और प्रवर्तकों में राजीव गोयल और अलका गोयल शामिल हैं। इन लोगों ने धोखाधड़ी कर बैंकों को 828.50 करोड़ रुपये का ‘नुकसान’ पहुंचाया। 

फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर लोन लिया 

ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए आरोपी कंपनी और उसके प्रवर्तकों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया। एजेंसी ने बयान में कहा कि कंपनी ने फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर कर्ज प्राप्त किया। अंतर्देशीय साख पत्र (आईएलसी) जारी करने को लेकर चालान, परिवहन विवरण, माल ढुलाई रसीद इत्यादि जैसे फर्जी दस्तावेज का उपयोग किया गया था। बाद में सूर्या फार्मास्युटिकल ने समूह की कंपनियों और मुखौटा इकाइयों का उपयोग कर पैसे की हेराफेरी की। बयान के अनुसार, इससे एसबीआई की अगुवाई वाले बैंकों के समूह को 828.50 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस कथित धोखाधड़ी को अंजाम देने के बाद प्रवर्तक (राजीव गोयल और अलका गोयल) देश से भाग गये। चंडीगढ़ की एक अदालत ने 10 जुलाई, 2017 को उन्हें ‘भगोड़ा अपराधी’ घोषित कर दिया। ईडी ने अपनी जांच शुरू की और अक्टूबर, 2022 में आरोपियों की 185.13 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति कुर्क की। जांच एजेंसी ने चार अप्रैल को मामले में आरोप पत्र दायर किया। 

एनसीएलटी से मिली मदद 

जांच एजेंसी ने कहा कि उसने संबंधित बैंकों और इस मामले में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) द्वारा नियुक्त परिसमापक के साथ बैठकें कीं और विशेष अदालत के समक्ष बैंकों की संपत्तियों की वापसी के लिए याचिका दायर करने में उनकी मदद की। एजेंसी ने कहा कि अदालत ने 25 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया। इसमें पीएमएलए की धारा 8(7) के अनुसार आरोपियों को ‘भगोड़ा अपराधी’ घोषित किये जाने के कारण आधिकारिक परिसमापक के माध्यम से कर्ज देने वाले बैंकों के समूह को कुर्क की गई संपत्तियों को वापस करने की अनुमति दी गई।

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