Thursday, November 14, 2024
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भारतीय मसालों की पूरी दुनिया दीवानी, फिर क्यों क्वालिटी पर उठे सवाल, जानें आगे क्या?

अमेरिका, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलियाई खाद्य नियामकों ने जांच शुरू कर दी है। हालांकि, एवरेस्ट और एमडीएच दोनों ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: May 10, 2024 22:28 IST
Indian Spices - India TV Paisa
Photo:INDIA TV भारतीय मसले

आज नहीं सदियों से भारतीय मसालों की खुशबू की दीवानी पूरी दुनिया रही है। दुनिया के अधिकांश देश अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए भारतीय मसालों का आयात करते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारतीय मसालों का दुनियाभर में करीब 35 हजार करोड़ रुपये का बाजार है। दुनिया में भारत मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक भी है। लेकिन हाल के दिनों में दुनिया के कई देशों ने भारतीय मसालों की गुणवत्ता पर सवाल उठाएं हैं। इनमें सिंगापुर, हाॅन्गकॉन्ग और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश शामिल हैं। वहीं, अमेरिका ने वॉचलिस्ट में डाल दिया है।

भारतीय मसालों में क्या दिक्कत?

आपको बता दें कि भारतीय मसालों में जहरीले केमिल एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा तय सीमा से अधिक होने को लेकर देश के दो सबसे बड़े मसाला ब्रांड- एमडीएच और एवरेस्ट पर सिंगापुर और हांगकांग में नियामक कार्रवाई किया है। केमिल एथिलीन ऑक्साइड से कैंसर का खतरा होता है। इसके बाद कई देशों ने जांच की बात कही है। जानकारों का कहना है कि इस फैसले के बाद भारत का बड़ा मसाला बाजार प्रभावित हो सकता है। निर्यात में गिरावट आ सकती है। 

अमेरिका, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलियाई खाद्य नियामकों ने जांच शुरू कर दी है। हालांकि, एवरेस्ट और एमडीएच दोनों ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है। एथिलीन डाइऑक्साइड, एक स्टरलाइज़िंग एजेंट, माइक्रोबियल संदूषण को कम करता है और खाद्य उत्पादों के शेल्फ-जीवन को बढ़ाता है। लेकिन इसका अत्यधिक उपयोग नुकसान दायक होता है।

भारतीय मसाला निर्यात कितना बड़ा?

FY24 में, देश का मसाला निर्यात $4.25 बिलियन होने का अनुमान है, जो $35 बिलियन के वैश्विक मसाला व्यापार का 12% है। 2001-02 में यह केवल $400 मिलियन था लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। 2020-21 में यह 4 बिलियन डॉलर को पार कर गया लेकिन 2022-23 में घटकर 3.74 बिलियन डॉलर रह गया। भारत से निर्यात किये जाने वाले प्रमुख मसाले हैं मिर्च, जीरा, हल्दी, इलायची, मसाला तेल और हल्दी। ओलियोरेसिन, काली मिर्च, पुदीना, अदरक, लहसुन और केसर। भारतीय मसाले का चीन सबसे बड़ा आयातक है, इसके बाद अमेरिका, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर हैं।

क्या ऐसी कार्रवाई पहली बार हुई? 

नहीं! भारतीय मसालों को इससे पहले भी कई बार इस तरह की कार्रवाई हुई है। अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों के नियामकों ने गुणवत्ता और जहरीले पदार्थों की उपस्थिति को लेकर भारतीय मसालों पर रोक लगाया है। हालांकि, यह पहली बार हो सकता है कि इसे कई देशों में व्यापक नियामक कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। इससे भारत द्वारा निर्यात और उपभोग किए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता पर सवालिया निशान लग गया है। 

क्या हो सकता है असर? 

हांगकांग और सिंगापुर भारतीय मसालों के बड़े उपभोक्ता नहीं हैं, लेकिन अमेरिका, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया द्वारा शुरू की गई जांच से नुकसान हो सकता है। भारतीय मसाला निर्यात में इन तीनों की हिस्सेदारी एक चौथाई है। भारत यूरोपीय संघ को मसालों का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है, जो स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर बहुत संवेदनशील रहते हैं। ट्रेड एक्सपर्ट ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द इस मसले का समाधान नहीं निकाला गया तो $2.17 बिलियन का निर्यात, कुल मसाला निर्यात का 51%, जोखिम में है।

भारत ने अब तक क्या कदम उठाया? 

सरकार का मसाला बोर्ड और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) इस मामले को देख रहा है। मसाला बोर्ड ने हांगकांग और सिंगापुर को भेजे जाने वाले शिपमेंट के अनिवार्य परीक्षण का आदेश दिया है, जबकि उसने अपने नियामकों से परीक्षण विवरण मांगा है। इसने निर्यातकों की विनिर्माण सुविधाओं का निरीक्षण शुरू कर दिया है और एथिलीन-ऑक्साइड मिश्रण को रोकने के लिए दिशानिर्देशों जारी की है। इस बीच, एफएसएसएआई पर भारत में बिकने वाले मसालों की गुणवत्ता पर गौर करने का दबाव बन रहा है।

निर्यातकों को व्यापक दिशानिर्देश जारी किया गया

मसाला बोर्ड ने भारत से आयात किए जाने वाले उत्पादों में कैंसरजनक रसायन एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) का इस्तेमाल रोकने के लिए निर्यातकों को व्यापक दिशानिर्देश जारी किए हैं। कुछ मसाला उत्पादों पर हाल ही में कुछ देशों के गुणवत्ता संबंधी चिंता जाहिर किए जाने के बीच यह कदम उठाया गया है। दिशानिर्देशों के अनुसार, निर्यातकों को मसालों में रोगाणुनाशक/धूमनकारी एजेंट या किसी अन्य रूप में ईटीओ रसायन के इस्तेमाल से बचना होगा। इसके साथ ही उन्हें सुनिश्चित करना होगा कि परिवहन, भंडारण/गोदाम, पैकेजिंग सामग्री आपूर्तिकर्ता किसी भी स्तर पर इस रसायन का उपयोग न करें। इसमें कहा गया कि निर्यातकों को आपूर्ति श्रृंखला में मसालों तथा मसाला उत्पादों में ईटीओ और इसके मेटाबोलाइट की अनुपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त उपाय करने होंगे। निर्यातक लइस रसायन को एक खतरे के रूप में भी पहचानेंगे और अपने खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली में खतरा विश्लेषण महत्वपूर्ण नियंत्रण बिंदुओं तथा खाद्य सुरक्षा योजना में ईटीओ को रोकने के लिए महत्वपूर्ण नियंत्रण बिंदुओं को शामिल करेंगे। 

मूल कारण का विश्लेषण करना होगा 

नौ पृष्ठों के दिशा-निर्देशों में कहा गया, ‘‘निर्यातकों को कच्चे माल, प्रसंस्करण सहायक सामग्री, पैकेजिंग सामग्री और तैयार माल में ईटीओ का परीक्षण करना होगा। आपूर्ति श्रृंखला के किसी भी चरण में ईटीओ का पता लगने पर निर्यातकों को मूल कारण का विश्लेषण करना होगा और भविष्य में इसके दोहराव से बचने के लिए उचित निवारक नियंत्रण उपाय लागू करने होंगे।’’ ये दिशा-निर्देश हांगकांग और सिंगापुर द्वारा लोकप्रिय मसाला ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के बाद आए हैं। इनके उत्पादों में कैंसरकारी रसायन एथिलीन ऑक्साइड पाए जाने के बाद उत्पादों को दुकानों से वापस मंगाया गया है। 

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