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बैंकों में डिपॉजिट और कर्ज के बीच बढ़ता अंतर चिंताजनक, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिया ये सुझाव

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ब्याज दरें नियंत्रणमुक्त हैं और अकसर बैंक फंड्स आकर्षित करने के लिए डिपॉजिट रेट्स में बढ़ोतरी करते हैं। शक्तिकांत दास ने कहा, ''बैंक ब्याज दरों पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं।''

Edited By: Sunil Chaurasia
Published on: August 10, 2024 14:29 IST
वित्त मंत्री ने कहा कि डिपॉजिट और उधार एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं- India TV Paisa
Photo:REUTERS वित्त मंत्री ने कहा कि डिपॉजिट और उधार एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं

देशभर के बैंक अभी डिपॉजिट की धीमी स्पीड से जूझ रहे हैं और डिपॉजिट बढ़ाने के लिए नए-नए तरीकों पर काम कर रहे हैं। इस बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों को डिपॉजिट बढ़ाने को लेकर एक अहम सलाह दी। वित्त मंत्री ने शनिवार को कहा कि बैंकों को डिपॉजिट राशि जुटाने के लिए इनोवेटिव और आकर्षक स्कीम्स लानी चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल को संबोधित करने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा, ''डिपॉजिट और उधार एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं लेकिन डिपॉजिट वाला पहिया धीमी गति से चल रहा है।''

डिपॉजिट और कर्ज के बीच बढ़ता अंतर चिंताजनक

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों को कोर बैंकिग यानी मुख्य कारोबार पर ध्यान देने की जरूरत है। इसमें डिपॉजिट राशि जुटाना और जिन्हें पैसों की जरूरत है, उन्हें कर्ज देना शामिल है। निर्मला सीतारमण ने डिपॉजिट और कर्ज के बीच अंतर को दूर करने के लिए बैंकों से लोगों से पैसे जुटाने के लिए इनोवेटिव और आकर्षक डिपॉजिट स्कीम्स लाने के लिए कहा। 

ब्याज दर तय करने के लिए बैंक स्वतंत्र

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ब्याज दरें नियंत्रणमुक्त हैं और अकसर बैंक फंड्स आकर्षित करने के लिए डिपॉजिट रेट्स में बढ़ोतरी करते हैं। शक्तिकांत दास ने कहा, ''बैंक ब्याज दरों पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं।'' बताते चलें कि आरबीआई गवर्नर ने इसी हफ्ते मॉनेटरी पॉलिसी पेश करते हुए बैंकों में डिपॉजिट और कर्ज के बीच बढ़ते अंतर पर चिंता जताई थी।

अपने विशाल नेटवर्क का फायदा उठा सकते हैं बैंक

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि बैंक कर्ज की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए शॉर्ट टर्म नॉन-रिटेल डिपॉजिट और देनदारी के अन्य साधनों का ज्यादा सहारा ले रहे हैं। गवर्नर ने आगाह करते हुए कहा कि ये बैंकों में संरचनात्मक रूप से नकदी के मुद्दों को सामने ला सकता है। इसीलिए, बैंक नए प्रोडक्ट्स और सर्विस पेशकशों के माध्यम से और अपने बड़े नेटवर्क का फायदा उठाकर घरेलू वित्तीय बचत जुटाने पर ज्यादा फोकस कर सकते हैं। 

पीटीआई इनपुट्स के साथ

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