नीतिगत निरंतरता को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्राथमिकता के बीच निर्मला सीतारमण को एक बार फिर वित्त मंत्रालय की कमान सौंपी गई है। सीतारमण अगले महीने नई सरकार का पहला बजट पेश करते समय सरकार के आर्थिक एजेंडा को सामने रख सकती हैं। हालांकि, सीतारमण के लिए ऐसा कर पाना आसान नहीं होगा। उन्हें मुद्रास्फीति पर कोई असर डाले बगैर आर्थिक वृद्धि को तेज करने के उपायों पर विचार करना होगा। इसके साथ ही उन्हें गठबंधन सरकार की मजबूरियों को ध्यान में रखते हुए संसाधनों की तलाश भी करनी होगी। सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी लगातार पांच वर्षों तक वित्त मंत्री रह चुकी हैं। इस दौरान उन्होंने सरकार के आर्थिक एजेंडा को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई और देश दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनकर सामने आया।
वित्त मंत्रालय की बागडोर फिर सभालेंगी
हाल ही में संपन्न आम चुनावों में जीत दर्ज करने के बाद रविवार को एक बार फिर प्रधानमंत्री अगुवाई में सरकार बनी। इस दौरान राज्यसभा सदस्य सीतारमण ने भी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली। नई सरकार में भी वित्त मंत्रालय संभालने जा रहीं सीतारमण के आर्थिक एजेंडा में भारत को पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने और वर्ष 2047 तक देश को ‘विकसित भारत’ में बदलने के लिए सुधारों को तेज करने के कदम शामिल होंगे। नई सरकार को राजकोषीय विवेक के साथ एक मजबूत अर्थव्यवस्था विरासत में मिली है। हाल ही में सरकार को रिजर्व बैंक से वित्त वर्ष 2023-24 के लिए लाभांश के तौर पर मिले 2.11 लाख करोड़ रुपये उसकी राजकोषीय स्थिति के लिए काफी मददगार साबित हो सकते हैं। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की प्रमुख नीतिगत प्राथमिकताओं में कृषि क्षेत्र में तनाव से निपटना, रोजगार सृजन, पूंजीगत व्यय की रफ्तार को बनाए रखना और राजकोषीय सशक्तीकरण की राह पर बने रहने के लिए राजस्व वृद्धि को बढ़ावा देना शामिल होगा।
इन मुद्दों पर रहेगी दुनिया की नजर
हालांकि, कर राजस्व में उछाल के बावजूद गैर-कर राजस्व एक चुनौती बना हुआ है। इसकी वजह यह है कि रणनीतिक विनिवेश लगभग नगण्य है। शिपिंग कॉरपोरेशन, एनएमडीसी स्टील लिमिटेड, बीईएमएल, पीडीआईएल और एचएलएल लाइफकेयर सहित कई केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों की रणनीतिक बिक्री अभी प्रक्रिया में है। आईडीबीआई बैंक भी सुरक्षा और बोलीदाताओं की उचित एवं सम्यक मंजूरी में फंस गया है। बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के मोर्चे पर भी सरकार को काफी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। यह सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों के साथ बीमा कंपनियों के निजीकरण की नीति को आगे नहीं बढ़ा पाई है।
स्लैब रेशनलाइज़ेशन को लेकर मशक्कत करनी पड़ेगी
कर राजस्व के मामले में मासिक माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह सुविधाजनक रहने के बावजूद केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद को जीएसटी 2.0 की शुरुआत करने के लिए कर दर और स्लैब रेशनलाइज़ेशन के साथ कड़ी मेहनत करनी होगी। सीतारमण ने वर्ष 2019 में वित्त विभाग का प्रभार संभाला था और उसके बाद से वह लगातार इस जिम्मेदारी को निभा रही हैं। वह स्वतंत्र भारत में पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं। उनके नेतृत्व में देश ने कोविड-19 महामारी से उपजे बेहद प्रतिकूल हालात का भी बखूबी सामना किया।