Tata Communications (टीसीएल) ने वित्त वर्ष 2006-07 से 2017-18 के दौरान अपनी सकल आय कम दिखाई है जिससे सरकार को लाइसेंस शुल्क के रूप में 645 करोड़ रुपये कम प्राप्त हुए है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि टाटा कम्युनिकेशंस से इस राशि की वसूली की जानी चाहिए। कैग की सोमवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘एनएलडी (नेशनल लांग डिस्टेंस), आईएलडी (इंटरनेशनल लांग डिस्टेंस) और आईएसपी (इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर)-आईटी लाइसेंस के संदर्भ में लाभ-हानि विवरण एवं बहीखाते के संबंध में 2006-07 से 2017-18 के दौरान समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) ब्योरे के ऑडिट से पता चलता है कि 13,252.81 करोड़ रुपये तक का सकल राजस्व कम दिखाया गया। इसके कारण लाइसेंस शुल्क के रूप में 950.25 करोड़ रुपये की कमी आई।’’
कंपनी से राशि की वसूली की जानी चाहिए
कैग के मुताबिक दूरसंचार विभाग ने कंपनी पर केवल 305.25 करोड़ रुपये का ही शुल्क लगाया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘दूरसंचार विभाग के 305.25 करोड़ रुपये लाइसेंस शुल्क के आकलन को घटाने के बाद भी लाइसेंस शुल्क 645 करोड़ रुपये बचा रह जाता है। कंपनी से इस राशि की वसूली की जानी चाहिए।’’ जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में कंपनी पर सख्ती बढ़ सकती है।
जून तिमाही में 543.76 करोड़ रुपये का लाभ
टाटा कम्युनिकेशंस लिमिटेड का एकीकृत शुद्ध लाभ चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 83.63 प्रतिशत बढ़कर 543.76 करोड़ रुपये हुआ था। कंपनी ने शेयर बाजारों को भेजी सूचना में यह जानकारी दी। कंपनी ने वित्त वर्ष 2021-22 की अप्रैल-जून तिमाही में 296.11 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था। टाटा कम्युनिकेशंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) ए एस लक्ष्मीनारायण ने बयान में कहा, ‘‘अनुशासित निष्पादन, पोर्टफोलियो में विस्तार और ग्राहकों के साथ अच्छे संबंधों से आय में वृद्धि हुई है।’’ वहीं, आलोच्य तिमाही के दौरान कंपनी की एकीकृत परिचालन आय पांच प्रतिशत बढ़कर 4,310.52 करोड़ रुपये हो गयी। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 4,102.79 करोड़ रुपये थी।