भारतीय मादक पेय कंपनियों के संगठन इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (सीआईएबीसी) ने बुधवार को कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के समर्थन से देश को आने वाले वर्षों में मादक पेय पदार्थों का निर्यात एक अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। सीआईएबीसी के महानिदेशक अनंत एस. अय्यर ने कहा कि इस क्षेत्र में कारोबार को आसान बनाना केन्द्र और राज्य सरकार दोनों स्तर पर आवश्यक है। बोतल बंद करने की प्रक्रिया (बोटिलंग) और ब्रान्डिंग के लिए आसान व समय पर अनुमति, परिवहन मंजूरी और ऑनलाइन कागजी कार्रवाई को बढ़ावा देना कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर इस क्षेत्र के विकास के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
एक अरब डॉलर का लक्ष्य महत्वाकांक्षी, लेकिन संभव
अय्यर ने कहा, ‘‘ हमें निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आसान कर ढांचे और बाजार-निर्धारित कीमतों के अलावा व्यापार करने में सुगमता लाने की आवश्यकता है। वर्तमान में इस क्षेत्र के लिए नियम हर राज्य में अलग-अलग हैं।’’ उन्होंने कहा कि एक अरब डॉलर का लक्ष्य ‘‘महत्वाकांक्षी है, लेकिन यह संभव है।’’ अय्यर ने कहा कि 2023-24 में निर्यात 38.9 डॉलर रहा था। उन्होंने कहा कि उद्योग जगत को इस लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि इसके लिए सालाना आधार पर 14-15 प्रतिशत की वृद्धि की जरूरत है।
40वें स्थान पर है भारत
अय्यर ने निर्यात के लिए राज्यों द्वारा विशिष्ट नीतियां बनाने, पैकिंग के आकार में लचीलापन लाने, न्यूनतम श्रम पंजीकरण शुल्क, प्रदर्शनियों व मेलों में हिस्सा लेने तथा आयोजन के लिए प्रोत्साहन और कच्चे माल पर लगाए गए शुल्क की प्रतिपूर्ति का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि ब्रांडिंग के लिए विदेश स्थित भारतीय मिशन, भारतीय विमानन संचालकों और देश के हवाई अड्डों पर शुल्क मुक्त दुकानें घरेलू ब्रान्ड को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ इन उपायों से हमें निर्यात को एक अरब अमेरिकी डॉलर तक ले जाने में मदद मिलेगी। ’’ वाणिज्य मंत्रालय की शाखा कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने पहले कहा था कि भारत वर्तमान में मादक पेय पदार्थों के निर्यात के मामले में दुनिया में 40वें स्थान पर है। प्रमुख निर्यात गंतव्यों में संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, नीदरलैंड, तंजानिया, अंगोला, केन्या और रवांडा शामिल हैं।