देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) से लोन लेना महंगा हो गया है। बैंक ने बृहस्पतिवार को अपनी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ़ फ़ंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में 0.05 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की। बैंक की वेबसाइट के अनुसार, एक साल की एमसीएलआर को शुक्रवार से 0.05 प्रतिशत बढ़ाकर नौ प्रतिशत कर दिया गया है। एक साल की एमसीएलआर दर से ही Personal Loan, Car Loan और होम लोन जैसे कर्ज की दर तय होती है। बैंक ने हाल ही में दो बार एमसीएलआर में बढ़ोतरी की है। बैंक के चेयरमैन सी एस शेट्टी ने कहा कि बैंक का 42 प्रतिशत ऋण खंड एमसीएलआर से जुड़ा है, जबकि शेष बाहरी बेंचमार्क पर आधारित है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि बैंकिंग प्रणाली में जमा दरें अपने उच्चस्तर पर हैं। एसबीआई ने तीन और छह महीने की MCLR में भी बढ़ोतरी की है। एक दिन, एक महीने, दो साल और तीन साल की अवधि की एमसीएलआर में बदलाव नहीं किया गया है।
बैंक ने अपनी ब्याज दरों में बदलाव किया
एमसीएलआर क्या है?
मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) वह न्यूनतम लेंडिंग रेट है, जिसके नीचे बैंक को लोन देने की अनुमति नहीं है। ऋण लेने वालों को उच्च ब्याज दरों में किसी भी कमी के लिए लंबे समय तक इंतजार करना होगा, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी हालिया बैठक में रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है। यह लगातार नौवीं बैठक है जिसमें केंद्रीय बैंक ने मौजूदा दर को बनाए रखा है। विशेषज्ञ अगली बैठक में दरों में कटौती की उम्मीद नहीं कर रहे हैं।
रेपो रेट कम होने की उम्मीद नहीं
खुदरा महंगाई में रिकॉर्ड उछाल के बाद दिसंबर में होने वाली आरबीआई की मौद्रिक पॉलिसी की बैठक में रेपो रेट में कटौती की संभावना नहीं है। इसका असर अब दिखाई देने लगा है। बैंक ब्याज दरों में वृद्धि कर रहे हैं। इससे लाखों लोगों पर ईएमआई का बोझ बढ़ेगा। बहुत सारे लोग लंबे समय से ब्याज दर में कमी का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, यह जल्द होता दिख नहीं रहा है।