भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की शनिवार को हुई बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए। इस बैठक में शेयर मार्केट में T+0 सेटलमेंट को लागू करने को लेकर टाइमलाइम भी सामने आई है। अगर T+0 सेटलमेंट लागू हो जाता है तो इससे सीधे तौर पर निवेशकों को फायदा होगा। बाजार में लिक्विडिटी बढ़ेगी।
सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने कहा कि हम पहले वैकल्पिक रूप से एक घंटे के सेटलमेंट पर प्रोसेस पर जाएंगे और फिर इंस्टेंट सेटलमेंट की तरह जाएंगे। इस पर ब्रोकर्स का भी समर्थन मिला है। ब्रोकर्स की ओर से कहा गया है कि इंस्टेंट और T+0 सेटलमेंट को लागू करने के लिए टेक्नोलॉजी को अपग्रेड करने की आवश्यकता होगी।
डिलिस्टिंग के नियमों में नहीं हुआ बदलाव
बोर्ड मीटिंग में कंपनियों की डिलिस्टिंग के नियमों में किसी भी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया गया है। बुच ने कहा कि पिछले पांच के दौरान डिलिस्ट होने के लिए आने वाली एप्लीकेशन की संख्या काफी कम है। पर्याप्त डेटा न होने के कारण किसी भी प्रकार के निर्णय पर पहुंचा जा सका है। इस कारण बोर्ड ने पर्याप्त डेटा आने तक किसी निर्णय लेने का फैसला किया है।
इस बोर्ड बैठक में बाजार की ओर से उम्मीद लगाई जा रही थी कि कंपनियों की डिलिस्टिंग के नियमों में सेबी की ओर से बदलाव किया जा सकता है। कानूनी जानकारों का भी मानना है कि मौजूदा डिलिस्टिंग का प्रोसेस काफी पेचीदा है।
स्मॉल और मीडियम आरईआईटी के लिए रास्ता खोला
सेबी की ओर से स्मॉल और मीडियम आरईआईटी के नियमों को आसान कर दिया है। अब आरईआईटी के लिए न्यूनतम एसेट्स वैल्यू 500 करोड़ रुपये से घटाकर 50 करोड़ रुपये कर दी गई है। वहीं, सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर एनजीओ की लिस्टिंग के लिए पब्लिक इश्यू के साइज की सीमा को एक करोड़ रुपये से घटाकर 50 लाख रुपये कर दिया गया है।