चीनी की मिठास महंगी पड़ेगी! जी हां, आपने सही सुना। आने वाले दिनों में चीनी खरीदने के लिए आपके जेब पर बोझ बढ़ सकता है। दरअसल, सरकार ने जल्द ही चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य बढ़ाने पर फैसला ले सकती है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सोमवार को कहा कि सरकार जल्द ही चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने पर फैसला लेगी। चीनी का एमएसपी 31 रुपये प्रति किलोग्राम पर अपरिवर्तित बना हुआ है। यह दर फरवरी, 2019 में निर्धारित की गई थी। अगर चीनी की मिनिमम सेलिंग प्राइस को बढ़ाया जाएगा तो बाजार में चीनी की मूल्य में वृद्धि होगी। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
चीनी उद्योग को राहत देने की मांग
चीनी उद्योग लंबे समय से चीनी की कीमत बढ़ाने की मांग कर रहा है। चीनी उद्योग का कहना है कि बढ़ती उत्पादन लागत और चीनी मिलों के समक्ष आ रहे आर्थिक दबाव के कारण कीमत में बढ़ोतरी करना जरूरी है। अब इस पर सरकार की ओर से प्रतिक्रिया आई है। जोशी ने यहां एक कार्यक्रम के मौके पर संवाददाताओं से कहा, चीनी की न्यूनतम मूल्य बढ़ाने की मांग है। विभाग इस मामले से अवगत है। हम जल्द ही फैसला लेंगे कि इसे बढ़ाना है या नहीं। भारतीय चीनी और जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (इस्मा) और राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना महासंघ (एनएफसीएसएफ) न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) को 39.4 रुपये प्रति किलोग्राम या यहां तक कि 42 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। उनका कहना है कि यह कदम बेहतर उत्पादन लागत को दर्शाने और भारत में चीनी मिलों की वित्तीय सेहत को सहारा देने में मददगार होगा।
चीनी उत्पादन 16 प्रतिशत घटा
अक्टूबर में शुरू हुए चालू विपणन वर्ष की पहली तिमाही में चीनी उत्पादन 16 प्रतिशत घटकर 95.40 लाख टन रह गया, जिसका मुख्य कारण महाराष्ट्र के उत्पादन में गिरावट आना है। उद्योग निकाय इस्मा के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। एक साल पहले की इसी अवधि में चीनी मिलों ने 113.01 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। उत्पादन के आंकड़ों में एथनॉल बनाने के लिए चीनी के हस्तांतरण को शामिल नहीं किया गया है। भारतीय चीनी और जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (इस्मा) के अनुसार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में पेराई दर पिछले साल से बेहतर थी। हालांकि, बारिश के कारण गन्ने की आपूर्ति में अस्थायी व्यवधान के कारण दिसंबर, 2024 के अंतिम सप्ताह के दौरान उत्तर प्रदेश में पेराई की दर प्रभावित हुई। पहली तिमाही के दौरान 493 मिलें चालू थीं, जबकि एक वर्ष पूर्व यह संख्या 512 थी। चीनी का उत्पादन घटने से भी कीमत बढ़ने की आशंका है।