आज तमाम चीनी कंपनियों के स्टॉक्स में गिरावट देखने को मिल रही है। आखिर, इस गिरावट की वजह क्या है? आपको बता दें कि केंद्र सरकार के 2024-25 सत्र के लिए गन्ने का उचित व लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 25 रुपये बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल करने का ऐलान किया है। इससे चीनी कंपनियों पर बोझ बढ़ेगा और उनका मुनाफा प्रभावित होगा। इस डर से चीनी कंपनियों के स्टॉक्स में आज गिरावट देखने को मिल रही है। आज के शुरुआती कारोबार में चीनी कंपनियों के शेयर तीन प्रतिशत तक गिर गए। हालांकि, अब सुधार देखने को मिल रहा है। हालांकि, अभी भी एक कंपनी को छोड़ कर सभी स्टॉक्स लाल निशान में ही कारोबार कर रहे हैं।
इन कंपनियों के स्टॉक्स में गिरावट
बीएसई पर सूचीबद्ध राणा शुगर्स का शेयर 3.21 प्रतिशत गिरकर 25.35 रुपये पर, मवाना शुगर्स का शेयर 2.81 प्रतिशत गिरकर 101.70 रुपये पर, राजश्री शुगर्स एंड केमिकल्स का शेयर 2.50 प्रतिशत गिरकर 72.62 रुपये पर, श्री रेणुका शुगर्स का शेयर 2.41 प्रतिशत गिरकर 48.50 रुपये पर, केसीपी शुगर एंड इंडस्ट्रीज का शेयर 2.20 प्रतिशत गिरकर 40.87 रुपये पर और ईआईडी पैरी (इंडिया) का शेयर 1.57 प्रतिशत गिरकर 629.20 रुपये पर आ गया। डालमिया भारत शुगर एंड इंडस्ट्रीज का शेयर 1.15 प्रतिशत की गिरावट के साथ 403.15 रुपये प्रति शेयर पर, बलरामपुर चीनी मिल्स का शेयर 1.12 प्रतिशत गिरकर 376.50 रुपये पर, धामपुर शुगर मिल्स 0.96 प्रतिशत की गिरावट के साथ 248 रुपये पर और त्रिवेणी इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज 0.76 प्रतिशत की गिरावट के साथ 347.80 रुपये प्रति शेयर पर आ गया।
गन्ने का मूल्य बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल किया गया
सरकार ने बुधवार को 2024-25 सत्र के लिए गन्ने का उचित व लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 25 रुपये बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल करने की मंजूरी दे दी थी दी। गन्ने का नया सत्र अक्टूबर से शुरू होता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद यह अब तक की सबसे बड़ी एफआरपी है। मात्रा के संदर्भ में यह दूसरी बार है जब मोदी सरकार ने एफआरपी में एक बार में 25 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की है। गन्ने की एफआरपी बढ़ाने का फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में लिया गया। संशोधित एफआरपी एक अक्टूबर 2024 से लागू होगी। आधिकारिक बयान के मुताबिक,‘‘ केंद्र सरकार के इस फैसले से पांच करोड़ से अधिक गन्ना किसानों (परिवार के सदस्यों सहित) और चीनी क्षेत्र से जुड़े लाखों अन्य लोगों को फायदा होगा।’’