राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से सुधा मूर्ती को राज्यसभा के लिए नामित किया गया है। सुधा मूर्ती आज के समय देश में किसी पहचान की मोहताज नहीं है। देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी इन्फोसिस को खड़ा करने से लेकर सामाजिक कार्यों में उनका काफी योगदान है।
इन्फोसिस शुरू करने के लिए दिए 10,000 रुपये
सुधा मूर्ती देश के जानेमाने कारोबारी और इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ती की पत्नी है। 1981 में इन्फोसिस शुरू करने के समय नारायण मूर्ती काफी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा था, तो उस सुधा मूर्ती ने सामने आकर 10,000 रुपये देकर उनकी मदद की थी, जिसके बाद इन्फोसिस ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। कंपनी को शुरू करने के लिए पैसे देने का जिक्र सुधा मूर्ती खुद कई बार मीडिया में कर चुकी हैं।
टेल्को की पहली महिला इंजीनियर
सुधा मूर्ति का जन्म कर्नाटक के शिवांग जिले में हुआ था। उनका ग्रेजुएशन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में हुआ था। उस समय काफी कम महिला ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई करती थी। जब उनकी पढ़ाई पूरी हुई तो टाटा की कंपनी टेल्को में इंजीनियर की नौकरी निकली थी। इनके ये केवल पुरुषों के लिए थी, जिसे लेकर उन्होंने सीधे जेआरडी टाटा को पत्र लिख था। सुधा मूर्ति के इस पत्र के टाटा को अपनी पॉलिसी बदलनी पड़ी और इंजीनियर के पद पर महिलाओं की भी भर्ती शुरू हो गई।
कई नागरिक सम्मान से सम्मानित हो चुकी हैं सुधा मूर्ति
कई क्षेत्रों में दिए गए उनकी योगदान के लिए सुधा मूर्ति को 2006 में सरकार द्वारा देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पदम श्री और 2023 में तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पदम भूषण दिया जा चुका है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,वह गेट्स फाउंडेशन के पब्लिक हेल्थकेयर प्रोग्राम के साथ कई अन्य सरकारी और गैर-सरकारी परोपकारी कार्यों से जुड़ी हुई है।