Friday, December 20, 2024
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शेयर बाजार में नहीं थम रही गिरावट, जानें वो 5 कारण जो बाजार को नीचे धकेल रहा

शेयर बाजार में गिरावट जारी है। इससे निवेशकों को भारी नुकसान हो रह है। आरिखर क्या वजह है कि बाजार में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। आइए वजह जानते हैं।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Dec 20, 2024 11:36 IST, Updated : Dec 20, 2024 11:45 IST
Stock Market fall
Photo:FILE शेयर बाजार में गिरावट

भारतीय शेयर बाजार में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रहा है। आज लगातार पांचवें दिन बाजार में गिरावट है। स्टॉक मार्केट में गिरावट जारी रहने से बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप पिछले 5 दिनों में लगभग ₹450 लाख करोड़ से घटकर लगभग ₹448 लाख करोड़ पहुंच गया है। पिछले पांच दिनों के नुकसान में निवेशकों को ₹11 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है। आखिर क्या वजह है कि भारतीय शेयर बाजार में गिरावट थम नहीं रही है? आइए उन कारणों पर नजर डालते हैं। 

1. यूएस फेड फैक्टर

यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा 18 दिसंबर को अपनी बेंचमार्क ब्याज दर को 25 आधार अंकों से घटाकर 4.25 से 4.50 प्रतिशत किया। हालांकि, अगले साल फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती का जो अनुमान जारी किया गया, वह बाजार की उम्मीदों के अनुरूप नहीं था। इस दृष्टिकोण ने दुनिया भर में बाजार की धारणा को प्रभावित किया। फेड ने अपने दर कटौती दृष्टिकोण को संशोधित किया और 2025 के अंत तक केवल दो और चौथाई प्रतिशत की दर कटौती का अनुमान लगाया, जबकि बाजार की उम्मीदें तीन या चार दर कटौती की थीं। इससे भारत समेत दुनिया भर के बाजारों में गिरावट देखने को मिल रही है। 

2. विदेशी निवेशकों की निकासी 

विदेशी संस्थागत निवेशकों (FPI) द्वारा भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर बिकवाली जारी है। डॉलर में मजबूती, बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी और अगले साल यूएस फेड द्वारा दरों में कटौती की कम संभावना के बीच एफआईआई ने पिछले चार सत्रों में ₹12,000 करोड़ से अधिक मूल्य के भारतीय शेयर बेचे हैं। विदेशी पूंजी की निकासी से बाजार की धारणा प्रभावित कर रही है। इससे बाजार में गिरावट जारी है। 

3. रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर

शुक्रवार को भारतीय रुपया 85.34 डॉलर प्रति डॉलर के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया। आपको बता दें कि कमजोर रुपया विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार में निवेश करने से हतोत्साहित करता है। यह उनके लाभ को कम करता है जब वे इसे अपनी घरेलू मुद्राओं में वापस बदलते हैं, जिससे विदेशी पूंजी बाहर निकलती है और बाजारों पर और दबाव पड़ता है। इसका भी असर भारतीय बाजार पर हो रहा है।

4. मैक्रोइकॉनोमिक बाधाएं

भारत की बिगड़ती मैक्रोइकॉनोमिक तस्वीर को लेकर नई चिंताएं उभरी हैं, जिससे बाजार की धारणा प्रभावित हुई है। नवंबर में देश का व्यापार घाटा अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। इसके अलावा आर्थिक विकास दर भी धीमी हुई है। भारत की दूसरी तिमाही की जीडीपी वृद्धि दर लगभग दो वर्षों में सबसे कम रही और लगातार तीसरी तिमाही में विकास दर में कमी देखी गई।

5. कंपनियों की आय में सुधार पर अनिश्चितता

भारतीय कॉरपोरेट्स की पहली और दूसरी तिमाही की आय में कमजोरी के बाद, सभी की निगाहें दिसंबर तिमाही की आय पर टिकी हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, चौथी तिमाही से ही अच्छी रिकवरी की उम्मीद है। हालांकि, तस्वीर अभी भी साफ नहीं है। इसका असर भी भारतीय बाजार पर दिखाई दे रहा है। 

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