स्टील की कीमत को लेकर रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने बुधवार को सावधान करते हुए कहा है कि अगर फरवरी के आखिर तक स्टील के आयात पर प्रस्तावित सुरक्षा शुल्क लागू किया जाता है तो साल 2025 में स्टील की कीमत में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। स्टील की कीमत बीते साल के मुकाबले 4-6 प्रतिशत तक महंगी हो सकती है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, क्रिसिल का कहना है कि मिलें नई चालू क्षमता से प्रोडक्शन की मात्रा बढ़ा रही है, ऐसे में सप्लाई में बढ़ोतरी से फ्लैट स्टील की कीमतें घटेंगी लेकिन यह 2024 की औसत कीमत से अधिक होगी।
पिछले साल घटी थी कीमत
खबर के मुताबिक, क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के निदेशक-शोध विशाल सिंह ने कहा कि पिछले साल, शुद्ध आयात में वृद्धि के कारण धातु की अतिरिक्त उपलब्धता के कारण घरेलू बाजार में स्टील की कीमतों में गिरावट आई थी। हॉट-रोल्ड कॉइल (HRC) की कीमतों में गिरावट आई नौ प्रतिशत और कोल्ड रोल्ड कॉइल की कीमतों में सात प्रतिशत की गिरावट आई, जिससे घरेलू मिलों की टॉपलाइन वृद्धि धीमी हो गई। हालांकि, कोकिंग कोल की गिरती कीमतों और कम अस्थिरता ने घरेलू स्टील उत्पादकों को मार्जिन दबाव को कुछ हद तक कम करने में मदद की है।
घरेलू स्टील की मांग चालू वर्ष में आगे रहेगी
ऑस्ट्रेलिया मूल के प्रीमियम कम अस्थिरता वाले ग्रेड के लिए कोकिंग कोल की हाजिर कीमत 2024 में 12 प्रतिशत घटी, जबकि इस अवधि के दौरान लौह अयस्क की कीमतों में 9-10 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। खासतौर से, चीन एचआरसी निर्यात कीमतों में 2024 में 12 प्रतिशत की गिरावट आई है और अभी भी घरेलू मिल कीमतों की तुलना में छूट पर कारोबार कर रही है। क्रिसिल ने कहा कि घरेलू स्टील की मांग चालू वर्ष में अन्य प्रमुख स्टील उपभोक्ता अर्थव्यवस्थाओं से आगे निकलती रहेगी और आवास और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में स्टील-गहन निर्माण की ओर बदलाव के साथ-साथ इंजीनियरिंग, पैकेजिंग और अन्य क्षेत्रों से बेहतर मांग के कारण 8-9 प्रतिशत की वृद्धि होगी। 2024 में वैश्विक स्टील की मांग में एक प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है।
यूरोप, जापान और अमेरिका से इस्पात की मांग
चीन में मांग में 3.5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। चीन दुनिया का सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक और उपभोक्ता है। एजेंसी ने कहा कि यूरोप, जापान और अमेरिका से इस्पात की मांग में भी 2-3 प्रतिशत की अनुमानित गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, भारत और ब्राजील जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में मांग में वृद्धि ने वैश्विक मांग में भारी गिरावट को रोका। एजेंसी ने कहा कि भारत में मांग में 11 प्रतिशत, ब्राजील में 5.6 प्रतिशत और अन्य इस्पात उपभोक्ता अर्थव्यवस्थाओं में 2.7 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है।