नयी दिल्ली। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि सरकार की विधि मापविज्ञान अधिनियम को अपराध की श्रेणी से अलग करने की योजना है। उन्होंने छोटे दुकानदारों के उत्पीड़न पर रोक लगाने को लेकर अपने विभाग के साथ-साथ राज्यों से इस मामले में जल्द-से-जल्द निर्णय करने को कहा।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता अनुचित व्यापार गतिविधियों से उपभोक्ताओं को संरक्षित करता है लेकिन कानून ‘उत्पीड़न का माध्यम’ नहीं बनना चाहिए। विधि मापविज्ञान अधिनियम, 2009 बाट और माप से जुड़े मानकों को सुनिश्चित करता है। मौजूदा स्वरूप में कानून के तहत दूसरी बार या उसके बाद गड़बड़ी करने पर जुर्माने के अलावा कारावास का भी प्रावधान है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं व्यक्तिगत रूप से कुछ चिंताओं को दूर करना चाहता हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है। मेरा मानना है कि यह महत्वपूर्ण है कि रोहित कुमार सिंह (उपभोक्ता मामलों के सचिव) ने अपराध की श्रेणी से हटाये जाने के बारे में जो कुछ कहा है, उसे हम सभी को समझना चाहिए।’’
गोयल ने कहा, ‘‘हमारे पास विधि मापविज्ञान अधिनियम है। और मैं खुद 35 साल पहले एक स्टार्टअप उद्यमी था। और 35 साल पहले, एक उद्यमी के रूप में अधिनियम के कारण हमें जो उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, वह शायद आज भी कुछ ऐसा ही है। खासकर छोटे दुकानदारों, छोटे कारोबारियों को दैनिक आधार पर इसका सामना करना पड़ता है।’’
उन्होंने कहा कि सरकार छोटे कारोबारियों के उत्पीड़न पर लगाम लगाने को लेकर कानून को अपराध की श्रेणी से हटाना चाहती है। हालांकि, मंत्री ने कहा कि उपभोक्ता संगठनों और कई राज्य सरकारों ने इस प्रस्ताव का विरोध करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं का संरक्षण होना चाहिए और उनकी शिकायतों का संवेदनशील तरीके से समाधान किया जाना
चाहिए लेकिन व्यापारियों को परेशान करने के लिए कानून का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए। गोयल ने कहा, ‘‘विभाग (उपभोक्ता मामले) को जल्द से जल्द फैसला लेना चाहिए।’’ उन्होंने राज्यों से भी विधि मापविज्ञान अधिनियम पर जल्द फैसला लेने को कहा। साथ ही अपने विभाग से इस संबंध में बैठक करने को कहा।