Starbucks CEO: जब कोई व्यक्ति एक कंपनी का सामान्य कर्मचारी होता है तो उसकी इच्छा बॉस बनने की होती है, बॉस बनने के बाद सुपर बॉस बनना चाहता है, कंपनी का सीईओ बनने की ख्वाहिश रखता है। सोचिए अगर एक सीईओ आम कर्मचारी की तरह काम करने लगे तो क्या होगा? कुछ नहीं होगा। उस कंपनी के आम कर्मचारियों में एक पॉजिटीव एनर्जी सर्कुलेट होगी। वह बॉस को अपने जैसा समझने लगेंगे और अधिक मन लगाकर काम करेंगे। ये सारी बातें अब सच होने जा रही है। दरअसल, कॉफी कंपनी स्टारबक्स के भारतीय मूल के नये CEO लक्ष्मण नरसिम्हन ने कहा है कि वह कंपनी की संस्कृति, ग्राहकों, चुनौतियों और अवसरों को समझने के लिए महीने में एक बार रेस्तरां में ‘बरिस्ता’ यानी बतौर कर्मचारी काम करेंगे। बता दें कि कॉफी बार में काम करने वाले व्यक्ति को बरिस्ता कहा जाता है।
हाल ही में बने थे कंपनी के सीईओ
आधिकारिक तौर पर 55 वर्षीय नरसिम्हन ने बीते सोमवार को सिएटल स्थित कंपनी के सीईओ का पदभार संभाला। उन्होंने लगभग दो सप्ताह पहले कंपनी के संस्थापक और अब पूर्व सीईओ हॉवर्ड शुल्ट्ज से बागडोर संभाली। लक्ष्मण ने बृहस्पतिवार को कर्मचारियों को लिखे एक पत्र में कहा कि वह हमेशा कंपनी के भागीदारों और इसकी संस्कृति के लिए ‘समर्थक’ रहेंगे। पत्र में आगे लिखा गया है, ‘‘आपके साथ, मैंने यह जानने के लिए व्यवसाय के हर पहलू का अनुभव किया है कि हरे रंग का एप्रन (पेशबंद) पहनने का वास्तव में क्या मतलब है। आपने हमारे स्टोर में मेरा स्वागत किया है, मुझे बरिस्ता बनने का प्रशिक्षण दिया है।
कौन है नरसिम्हन?
55 वर्षीय नरसिम्हन ने पुणे विश्वविद्यालय (अब सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय) के इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की है। वह पहले यूके स्थित मल्टीनेशनल उपभोक्ता स्वास्थ्य कंपनी Reckitt Benckiser के सीईओ थे। स्टारबक्स, जिसका मुख्यालय सिएटल में है, दुनिया की सबसे बड़ी कॉफीहाउस कंपनी है। उन्होंने पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में द लॉडर इंस्टीट्यूट से जर्मन और अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन में एमए भी प्राप्त किया। उन्होंने पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय (University of Pennsylvania) के व्हार्टन स्कूल (Wharton School) से फाइनेंस में एमबीए (MBA) किया है। नरसिम्हन ने अपना करियर तब शुरू किया जब वह मैकिन्से में शामिल हुए और 2012 तक 19 साल तक वहां काम किया था। वहां वह एक सीनियर पार्टनर के रूप में काम कर रहे थे, जहां उन्होंने अमेरिका, एशिया और भारत में अपने उपभोक्ता, खुदरा और प्रौद्योगिकी प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित किया। उन्हें खुदरा के भविष्य पर फर्म की सोच का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी भी दी गई थी। 2012 में पेप्सिको लैटिन अमेरिका के सीईओ और पेप्सिको अमेरिका फूड्स के सीएफओ के रूप में उन्होनें नई पारी की शुरुआत की थी।