Highlights
- रानिल विक्रमसिंघे ने सरकारी विमानन कंपनी श्रीलंकन एयरलाइंस के निजीकरण का प्रस्ताव रखा
- मार्च, 2021 तक इसका कुल घाटा 372 अरब रुपये हो चुका था
- विक्रमसिंघे पिछले कार्यकाल में श्रीलंकन एयरलाइंस का निजीकरण करने में नाकाम रहे थे
Srilankan Airlines: भारत के पड़ौसी देश श्रीलंका की तंगहाली खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। गंभीर आर्थिक संकट के बीच अब देश अपनी सरकारी एयरलाइंस को बेचने की तैयारी कर रहा है। भयंकर आर्थिक एवं राजनीतिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के नवनियुक्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सोमवार को कहा कि उन्होंने सरकारी विमानन कंपनी श्रीलंकन एयरलाइंस के निजीकरण का प्रस्ताव रखा है।
विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री नियुक्त होने के बाद राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में कहा
मेरा प्रस्ताव है कि घाटे में चल रही श्रीलंकन एयरलाइंस का निजीकरण किया जाए।
सरकार के एक गलत फैसले से हालत खस्ता
‘इकनॉमी नेक्स्ट’ वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे द्वारा अमीरात को एयरलाइन के प्रबंध शेयरधारक के रूप में हटाने के बाद श्रीलंकाई एयरलाइंस को बड़ा नुकसान हुआ है। विक्रमसिंघे ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के समक्ष मौजूद चुनौतियों से निपटने के लिए कुछ उपायों की घोषणा करते हुए कहा, “सिर्फ 2020-21 के साल में ही इसका घाटा 45 अरब रुपये था। मार्च, 2021 तक इसका कुल घाटा 372 अरब रुपये हो चुका था।”
2017 में भी हुई बेचने की कोशिश
विक्रमसिंघे ने कहा, ‘‘अगर हम इसका निजीकरण भी करते हैं, तो हमें नुकसान उठाना पड़ेगा। आपको ध्यान रखना चाहिए कि यह नुकसान सबसे गरीब व्यक्ति को उठाना पड़ता है जिसने विमान में कभी कदम भी नहीं रखा होता है।’’ हालांकि, विक्रमसिंघे 2015 से 2019 के अपने पिछले कार्यकाल में श्रीलंकन एयरलाइंस का निजीकरण करने में नाकाम रहे थे। वर्ष 1979 में शुरू की गई श्रीलंकन एयरलाइंस के पास 61 देशों में 126 गंतव्यों का वैश्विक नेटवर्क है।
बेहद खराब हैं आर्थिक हालात
श्रीलंका के आर्थिक हालात बेहद खराब हैं। यहां का विदेशी मुद्रा भंडार खाली पड़ा है, देश के पास न तो पेट्रोल और खाने पीने का सामान है और न ही इसे विदेशों से आयात करने के पैसे। ऐसे में सरकारी एयरलाइंस बेच कर डॉलर कमाने की योजना तैयार की जा रही है, लेकिन यह इतना भी आसान नहीं है। एयरलाइंस इस समय 372 अरब रुपये का घाटा झेल रही है।