Highlights
- रीलंका अपनी सरकारी विमान सेवा को बेचने की तैयारी कर रहा है
- सरकार श्रीलंकन एयरलाइन्स पर सालाना 80 अरब डॉलर से 200 अरब डॉलर खर्च करती है
- श्रीलंकन एयरलाइन्स पर का कर्ज वर्तमान में 1.22 अरब डॉलर है
Airline on Sale: भारत के पड़ौसी देश श्रीलंका की हालत सुधरने का नाम नहीं ले रही है। श्रीलंका पिछले एक साल से गंभीर आर्थिक संकट झेल रहा हैं। हालत ये है कि देश के पास अपने नागरिकों के लिए पेट्रोल और गैस का आयात करने के लिए विदेशी मुद्रा नहीं है। अब यहां की सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है। श्रीलंका अपनी सरकारी विमान सेवा को बेचने की तैयारी कर रहा है।
विमान उड़ाने लायक पैसा नहीं
श्रीलंका की सरकारी विमानन कंपनी भारी घोटे में चल रही है। जिसके चलते अब श्रीलंका राष्ट्रीय विमानन कंपनी का निजीकरण करेगा। श्रीलंका ने सोमवार कहा कि नकदी की कमी से जूझ रही सरकार एयरलाइन के संचालन में अब पैसा नहीं लगा सकती।
जानिए क्या क्या बिकेगा
श्रीलंका के नागर विमानन मंत्री निमल सिरिपाला डी सिल्वा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि सरकार श्रीलंकन एयरलाइंस की खानपान और ग्राउंड-हैंडलिंग इकाइयों में से प्रत्येक में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की सोच रही है, जबकि 51 प्रतिशत हिस्सेदारी अपने पास रखेगी। उन्होंने कहा कि यह पुनर्गठन आवश्यक है क्योंकि सरकार अब एयरलाइन चलाने में पैसा लगाने का जोखिम नहीं उठा सकती है। डी सिल्वा ने कहा कि सरकार एयरलाइन को अपना परिचालन चलाने के लिए सालाना 80 अरब डॉलर से 200 अरब डॉलर के बीच मुहैया कराती रही है।
एयरलाइंस पर 1.22 अरब डॉलर का कर्ज
खानपान परिचालन से प्राप्त राजस्व का उपयोग आठ करोड़ डॉलर के कर्ज का भुगतान करने के लिए किया जा सकता है, जो इसके शेयरों के साथ ही कुछ अन्य ऋणों को गिरवी रखकर लिया गया था। उन्होंने कहा कि एयरलाइन का कर्ज वर्तमान में 1.22 अरब डॉलर है।
जानिए क्या है इतिहास
1979 में एयर लंका के रूप में गठित एयरलाइन को 1998 में अमीरात के प्रबंधन नियंत्रण के तहत श्रीलंकन एयरलाइंस का नाम दिया गया था। 2007 में, सरकार ने अमीरात से इसका नियंत्रण वापस ले लिया।