श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने बुधवार को घोषणा की कि पेरिस में भारत और चीन सहित द्विपक्षीय ऋणदाताओं के साथ लंबे समय से लंबित 5.8 अरब डॉलर का ऋण पुनर्गठन समझौतों को अंतिम रूप दे दिया गया है। उन्होंने इस घटनाक्रम को एक ‘महत्वपूर्ण मील का पत्थर’ बताया, जिससे नकदी की कमी से जूझ रहे देश के प्रति अंतरराष्ट्रीय विश्वास बढ़ेगा। भारत ने श्रीलंका के ऋणदाता देशों के एक समूह के साथ ऋण पुनर्गठन समझौते का स्वागत किया है। राष्ट्रपति विक्रमसिंघे वित्त मंत्री का भी कार्यभार संभाल रहे हैं। उन्होंने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने इन समझौतों को अनुमोदन के लिए दो जुलाई को संसद में पेश करेंगे।
2028 तक किस्तों के भुगतान को टाल सकेगा
विक्रमसिंघे ने प्रसन्नतापूर्वक कहा, “आज सुबह पेरिस में, श्रीलंका ने हमारे आधिकारिक द्विपक्षीय ऋणदाताओं के साथ एक अंतिम समझौता किया। इसी तरह, हमने आज बीजिंग में चीन के एक्जिम बैंक के साथ एक और समझौते पर हस्ताक्षर किए। श्रीलंका के 2022 में अपनी पहली सरकारी चूक घोषित करने के बाद से विक्रमसिंघे उसे आर्थिक संकट से बाहर निकालने के प्रयासों में सबसे आगे रहे हैं। इस प्रगति को एक ‘महत्वपूर्ण मील का पत्थर’ बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा, “इन समझौतों के साथ हम 2028 तक सभी द्विपक्षीय ऋण किस्तों के भुगतान को टाल सकेंगे। इसके अलावा, हमारे पास 2043 तक विस्तारित अवधि के साथ रियायती शर्तों पर सभी कर्जों को चुकाने का मौका होगा।”
भारत ने किया स्वागत
उन्होंने चीन और चीन के एक्जिम बैंक, भारत, जापान और फ्रांस सहित ऋणदाताओं के प्रति अपना आभार जताया, जो आधिकारिक ऋणदाता समिति के सह-अध्यक्ष हैं। इस बीच, भारत ने श्रीलंका के ऋणदाता देशों के एक समूह के साथ ऋण पुनर्गठन समझौते का स्वागत करते हुए कहा कि वह दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा देने सहित उसकी आर्थिक सुधार का समर्थन करना जारी रखेगा। भारत आधिकारिक ऋणदाता समिति (ओसीसी) के सह-अध्यक्ष में से एक है। इसका गठन पिछले साल अप्रैल में श्रीलंका के ऋण पुनर्गठन की योजना को अंतिम रूप देने के लिए किया गया था। विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, “ओसीसी ने कई दौर की बातचीत के बाद 26 जून को ऋण पुनर्गठन पर समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।” मंत्रालय ने कहा कि यह मील का पत्थर श्रीलंका द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और सुधार और वृद्धि की दिशा में आगे बढ़ने में हुई मजबूत प्रगति दिखाता है।