Sri Lanka की बर्बादी दुनियाभर में चर्चा का विषय है। देश की आम जनता भोजन, दवाएं और पेट्रोल जैसी जरूरी वस्तुएं के लिए मोहताज है। इस बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे देश छोड़ कर भाग चुके हैं। इससे जनता का गुस्सा सातवें आसमान पर हैं। आखिर, क्या वजह रही है कि नीले समुद्र के बीच, हरे-भरे पेड़-पौधों से सजा खूबसूरत यह देश बर्बाद हो गया है जबकि कुछ साल पहले तक यह वैश्विक पर्यटकों के लिए जन्नत था। आइए, जानते हैं कि श्रीलंका की आर्थिक बर्बादी के 10 अहम कारण?
- राजपक्षे परिवार की गलत नीतियां: श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और उनके परिवार की गलत नीतियों ने इस टापू के देश को डुबाने का काम किया। राष्ट्रपति राजपक्षे 2019 में टैक्स में बड़ी कटौती की गई, जिससे देश का एक तिहाई कर सरकार के खजाने से गायब हो गया। इसकी भरपाई नहीं हो पाई और देश आर्थिक संकट में फंसता चला गया।
- चीन से बेहिसाब कर्ज: चीन को श्रीलंका बड़े-बड़े निर्णाण के ठेके मिले। इसके साथ ही चीन ने बड़ी ब्याज दरों पर श्रीलंका को कर्ज दिया। बाद में श्रीलंका चीन समेत दूसरे देशों के कर्ज चुकाने में असमर्थ हुआ। यह भी एक बड़ा कारण बना। श्रीलंका की बर्बादी में चीन का बड़ा हाथ मना जा रहा है।
- विदेशी कर्ज की मार: श्रीलंका की पूरी अर्थव्यवस्था में विदेशी कर्ज का बड़ा योगदान है। Sri Lanka ने चीन, जापान, भारत और विश्व संस्थाओं से भारी कर्ज लिया और बाद में चुका नहीं पाया। यह कारण भी श्रीलंका को वित्तीय बर्बादी की राह पर धकेल दिया।
- कोरोना ने तोड़ी कमर: श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में लगभग 10 फीसदी योगदान पर्यटन का है। कोरोना काल में प्रतिबंधों के कारण दूसरे देशों के पर्यटक श्रीलंका नहीं आ सके। इससे उसे कोई कमाई नहीं हुई और उसे डॉलर में कोई आय नहीं हुई। इससे देश की अर्थव्यवस्था का हाल बुरा हो गया।
- महंगाई ने खराब किया खेल: रूस और युक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमत में आसमान उछाल आया। देश के विदेशी मुद्रा संकट के बीच पेट्रोल और डीजल खरीदने के लिए विदेशी मुद्रा नहीं बची है, जिससे संकट और भी गहरा गया।
- जरूरी सामान के दाम 300% तक बढ़े: श्रीलंका मुद्रा का डॉलर के मुकाबले अवमूल्यन होने से जरूरी सामानों के दाम 300 फीसदी तक बढ़ गए। पेट्रोल 500 रुपये लीटर के करीब पहुंच गया। आटा 300 रुपये किलो मिलने लगा। ये चीजें जनता की पहुंच से बाहर निकल गई। ये भी बर्बादी के कारण बनी।
- खेती से जुड़े नियमों में परिवर्तन: श्रीलंका में खेती के नियमों में भी परिवर्तन किया गया। रसायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल की जगह ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया गया। इससे चावल की फसल बिल्कुल बर्बाद हो गइ। इससे श्रीलंका रोजमर्रा की वस्तुओं का भयंकर कमी आई।
- कर्ज का दुरुपयोग: श्रीलंका ने पिछले एक दशक में विकास के नाम पर भारत, जापान और चीन जैसे देशों से अरबों डॅालर का कर्ज लिया है। लेकिन कर्ज विकास की बजाय भष्टाचार की भेंट चढ़ गया। यह भी आर्थिक संकट का कारण बना।
- गिरता विदेशी मुद्रा भंडार: 2021 के आखिरी तक श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 2.7 बिलियन डॉलर से घटकर 2.7 बिलियन डॉलर हो गया था। व्यापारियों को आयात होने वाले माल को खरीदने के लिए विदेशी मुद्रा के स्रोत के कारण संघर्ष करना पड़ा। लेकिन समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया। इससे भी वित्तीय संकट गहराया।
- भ्रष्टाचार और धन का कुप्रबंधन: अर्थशास्त्रियों का कहना है कि संकट की कई घरेलू वजह रही जिमसें भ्रष्टाचार और धन का कुप्रबंधन। राजपक्षे परिवार ने सरकारी खजाने का गलत इस्तेमाल किया। अरबों की संपत्ति विदेशों में जमा की। इससे श्रीलंका की अर्थव्यवस्था बुरी तरह डूब गई।