Thursday, November 21, 2024
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सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी के बजाय उसका अलॉटमेंट होगा, जानें संचार मंत्री ने और क्या कहा

केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम मुफ्त नहीं दिया जाएगा और टेलीकॉम रेगुलेटर (ट्राई) इसके लिए कीमत तय करेगा।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: November 07, 2024 16:31 IST
एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक ने भी इसके अलॉटमेंट (आवंटन) की वकालत की है। - India TV Paisa
Photo:FREEPIK एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक ने भी इसके अलॉटमेंट (आवंटन) की वकालत की है।

भारतीय अरबपति उद्योगपति मुकेश अंबानी और सुनील मित्तल सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी की मांग बेशक कर रहे हैं, लेकिन केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरुवार को यह स्पष्ट कर दिया कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी के बजाय उसका आवंटन किया जाएगा। भाषा की खबर के मुताबिक, एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक ने भी इसके अलॉटमेंट (आवंटन) की वकालत की है। केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम मुफ्त नहीं दिया जाएगा और टेलीकॉम रेगुलेटर (ट्राई) इसके लिए कीमत तय करेगा।

आईटीयू का पालन करना होता है

खबर के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हर देश को अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) का पालन करना होता है, जो अंतरिक्ष या उपग्रहों में स्पेक्ट्रम के लिए नीति निर्धारित करने वाला संगठन है। आईटीयू असाइनमेंट के आधार पर स्पेक्ट्रम दिए जाने के मामले में बेहद स्पष्ट रहा है। उन्होंने कहा कि अगर आप आज दुनियाभर में देखें, तो मुझे एक भी ऐसा देश नहीं दिखता जो उपग्रह के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी करता हो। बता दें, भारत डिजिटल टेक्नोलॉजी के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) का सदस्य है।

स्टारलिंक और प्रोजेक्ट कुइपर कर रहे अलॉटमेंट को सपोर्ट

मस्क की स्टारलिंक और अमेजन के प्रोजेक्ट कुइपर जैसे वैश्विक प्रतिस्पर्धियों ने प्रशासनिक आवंटन का समर्थन किया है। अंबानी की रिलायंस जियो नीलामी के जरिये ऐसे स्पेक्ट्रम के आवंटन पर जोर दे रही है, ताकि उन पुराने परिचालकों को समान अवसर उपलब्ध कराया जा सके जो स्पेक्ट्रम खरीदते हैं, टेलीकॉम टावर जैसे बुनियादी ढांचे की स्थापना करते हैं। वहीं मित्तल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में पिछले महीने उद्योग जगत के एक समारोह में ऐसे आवंटन के लिए बोली लगाने की जरूरत पर जोर दिया था। जियो और मित्तल की भारती एयरटेल भारत की पहले और दूसरे नंबर की दूरसंचार कंपनियां हैं।

असमान प्रतिस्पर्धा का माहौल पैदा होगा!

जियो और एयरटेल का मानना ​​है कि सरकार द्वारा पूर्व-निर्धारित मूल्य पर सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम देने से असमान प्रतिस्पर्धा का माहौल पैदा होगा, क्योंकि उन्हें अपने स्थलीय ‘वायरलेस फोन नेटवर्क’ के लिए स्पेक्ट्रम हासिल करने को नीलामी में प्रतिस्पर्धा करनी होगी। दोनों कंपनियां सैटेलाइट ब्रॉडबैंड क्षेत्र में भी हिस्सेदारी के लिए होड़ में हैं। मस्क की अगुवाई वाली स्टारलिंक ग्लोबल ट्रेंड के मुताबिक, लाइसेंस के प्रशासनिक अलॉटमेंट की मांग कर रही है, क्योंकि वह दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते मोबाइल टेलीफोनी और इंटरनेट बाजार में प्रवेश करना चाहती है।

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