आठ बैंडों में 96,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के स्पेक्ट्रम की नीलामी मंगलवार (25 जून) से शुरू होगी। दूरसंचार परिचालक रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया की 5जी मोबाइल सेवाओं के लिए इन महत्वपूर्ण रेडियो तरंगों को हासिल करने पर नजर है। पिछली स्पेक्ट्रम नीलामी अगस्त 2022 में हुई थी, जिसमें पहली बार 5जी सेवाओं के लिए रेडियो तरंगें शामिल की गईं थीं। सरकार लगभग 96,317 करोड़ रुपये के आधार मूल्य पर मोबाइल फोन सेवाओं के लिए आठ स्पेक्ट्रम बैंड की नीलामी करेगी।
नीलामी के लिए ये मेगाहर्ट्ज उपलब्ध
गौरतलब है कि 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 2500 मेगाहर्ट्ज, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड में उपलब्ध सभी स्पेक्ट्रम 10वीं नीलामी का हिस्सा हैं। आईटीयू-एपीटी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भारत भाटिया ने कहा, ''हम 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 2500 मेगाहर्ट्ज, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड में रेडियो फ्रीक्वेंसी की नीलामी के लिए सरकार के कदम का स्वागत करते हैं। हालांकि, 600 मेगाहर्ट्ज और 1400 मेगाहर्ट्ज में स्पेक्ट्रम की भी जल्द ही नीलामी होनी चाहिए, क्योंकि ये बैंड मोबाइल उद्योग के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।''
जियो ने जमा कराया सबसे अधिक पैसा
रिलायंस जियो ने स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए सबसे अधिक 3,000 करोड़ रुपये की बयाना राशि जमा की है। इस आधार पर कंपनी अधिकतम रेडियो तरंगों के लिए बोली लगा सकती है। दूरसंचार विभाग के मुताबिक भारती एयरटेल ने 1,050 करोड़ रुपये और वोडाफोन आइडिया (वीआईएल) ने 300 करोड़ रुपये की बयाना राशि जमा की है। दूरसंचार विशेषज्ञ पराग कार ने कहा कि बयाना राशि के आधार पर रिलायंस जियो कुल स्पेक्ट्रम मूल्य के 37.36 प्रतिशत, भारती 13.07 प्रतिशत और वोडाफोन आइडिया 3.73 प्रतिशत के लिए बोली लगा सकती हैं।
कर्ज में डूबी आइडिया भी लगाएगी बोली
उन्होंने कहा कि जियो केवल 800 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए बोली लगाने की उत्सुक हो सकती है। कार ने अपने ब्लॉग में कहा, ''आगामी नीलामी में भारती का मकसद अपनी स्पेक्ट्रम दक्षता को मजबूत करने और उसे बढ़ाने का है। आरक्षित मूल्य पर भारती को 11,512 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ सकता है।'' कर्ज में डूबी वोडाफोन आइडिया लि.अपने स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क को कम करने के लिए विशेष रूप से 26 गीगाहर्ट्ज बैंड में रणनीतिक अधिग्रहण पर ध्यान केंद्रित कर सकती है।