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हिंदुस्तान के दिल में फीकी पड़ने लगी ‘पीले सोने’ की चमक, जानिए क्या है इस बेरूखी का कारण

इस बार भी बाजार में सोयाबीन का बीज महंगे दामों में बिका। इससे सोयाबीन को लेकर किसानों के रुझान में कमी आई और उन्होंने अन्य फसलें बोना मुनासिब समझा।

Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: September 07, 2022 18:17 IST
Soybean- India TV Paisa
Photo:FILE Soybean

Highlights

  • सोयाबीन उत्पादक राज्य में ही सोयाबीन की खेती सिकुड़ने लगी है
  • तिलहन फसल के रकबे में करीब पांच लाख हेक्टेयर की कमी दर्ज की गई
  • तिलहन फसल की बुवाई घटकर 50.18 लाख हेक्टेयर पर सिमट गई है

Soybean: अपने ढेरों उपयोग और किसानों को मोटा मुनाफा देने के कारण सोयाबीन को मध्य प्रदेश में पीला सोना भी कहा जाता है। लेकिन देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक राज्य में ही सोयाबीन की खेती सिकुड़ने लगी है। मौजूदा मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान मध्य प्रदेश में इस प्रमुख तिलहन फसल के रकबे में करीब पांच लाख हेक्टेयर की कमी दर्ज की गई है। इस कमी के पीछे प्रमुख कारण घटिया स्तर के बीजों को बताया जा रहा है। 

50 लाख हेक्टेयर घटी बुवाई

नवीनतम सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में इस तिलहन फसल की बुवाई घटकर 50.18 लाख हेक्टेयर पर सिमट गई है। आंकड़ों के मुताबिक, 2021 के खरीफ सत्र के दौरान राज्य में 55.14 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया था। गौरतलब है कि राज्य में देश का आधे से ज्यादा सोयाबीन पैदा होता है। 

परेशान कर देगा इस बेरूखी का कारण 

किसान नेताओं के मुताबिक, राज्य में सोयाबीन का रकबा घटने के प्रमुख कारणों में ऊंचे दामों पर कथित रूप से घटिया बीज की बिक्री और भारी बारिश के बाद खेतों में जल जमाव से सोयाबीन की फसल बिगड़ने का खतरा शामिल है। राज्य के कृषक संगठन ‘किसान सेना’ के सचिव जगदीश रावलिया ने  बताया,‘‘इस बार भी बाजार में सोयाबीन का बीज महंगे दामों में बिका। इससे सोयाबीन को लेकर किसानों के रुझान में कमी आई और उन्होंने अन्य फसलें बोना मुनासिब समझा।’’ 

सोयाबीन की बनाए धान की ओर रूख

रावलिया ने कहा कि मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान सूबे के अधिकांश इलाकों में भारी वर्षा हुई और इस कारण कई किसानों ने कोई जोखिम न लेते हुए सोयाबीन के बजाय धान की बुवाई की। उन्होंने कहा कि अगर भारी बारिश के कारण खेत में जल जमाव होता है, तो सोयाबीन की फसल खराब होने का खतरा होता है। 

घटिया बीजों के चलते चौपट हो रही फसल

रावलिया ने कहा,‘‘प्रमुख नकदी फसल होने के चलते सूबे के किसानों में सोयाबीन पीले सोने के नाम से मशहूर है, लेकिन इस फसल को लेकर उनका जोखिम साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है।’’ भारतीय किसान एवं मजदूर सेना के अध्यक्ष बबलू जाधव ने दावा किया कि राज्य में ऊंचे दामों पर घटिया बीज बिकने के चलते सोयाबीन की पैदावार घट रही है जिससे किसानों का इस तिलहन फसल से मोहभंग हो रहा है। 

बीज माफिया पर काबू करने की मांग 

सरकार को राज्य में ‘‘बीज माफिया’’ पर लगाम लगानी चाहिए। कृषि विभाग के संयुक्त संचालक आलोक कुमार मीणा ने दावा किया कि अगर विभाग को किसानों की ओर से घटिया बीजों की शिकायतें मिलती है, तो इनपर तत्काल कार्रवाई की जाती है। इस बीच, इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के कार्यकारी निदेशक डी एन पाठक ने भी माना कि राज्य में सोयाबीन के परंपरागत रकबे का एक हिस्सा धान और दलहनी फसलों की ओर मुड़ गया है। 

4,300 रुपये प्रति क्विंटल हुआ MSP

देश में कुपोषण दूर करने और खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए सोयाबीन की खेती को बढ़ावा दिया जाना बेहद जरूरी है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने फसल वर्ष 2022-23 के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पिछले साल के 3,950 रुपये से बढ़ाकर 4,300 रुपये प्रति क्विंटल किया है।

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