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दिवाली से पहले महंगाई से मिली थोड़ी राहत, सरसों तेल की कीमतों में आई गिरावट

मूंगफली की आवक लगभग ढाई लाख बोरी के आसपास पहुंचने तथा नमी वाले माल के कारण कम बिकवाली के बीच मूंगफली तेल-तिलहन पूर्वस्तर पर बने रहे। ठंड के मौसम में कम मांग के कारण सीपीओ और पामोलीन तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published on: October 26, 2024 21:01 IST
सरसों का तेल- India TV Paisa
Photo:FILE सरसों का तेल

सहकारी संस्था, नाफेड की बिकवाली जारी रहने से दिल्ली के थोक तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सरसों तेल-तिलहन के दाम गिरावट के साथ बंद हुए। जबकि कल रात शिकागो एक्सचेंज के दो प्रतिशत से ज्यादा मजबूत होने के कारण सोयाबीन तेल के दाम में मजबूती रही। बाकी सभी तेल-तिलहनों (मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन, सीपीओ एवं पामोलीन) तथा बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए। बाजार सूत्रों ने बताया कि सरकार के द्वारा सस्ते आयातित खाद्यतेलों का आयात शुल्क बढ़ाने के फैसले के बाद पिछले लगभग तीन सालों से जो सरसों नॉफेड के पास जमा हो रखा था, वह खप रहा है अन्यथा इसका खराब होना तय था। इससे किसानों को अच्छे दाम मिले और देश की पेराई मिलों में काम चल पड़ा।

मूंगफली तेल में गिरावट

जो लोग शुल्क वृद्धि से खाद्यतेल कीमतों में बेतहाशा वृद्धि की आशंका जता रहे थे, उन्हें जानकर हैरत होगी कि शुल्कवृद्धि के बाद सरसों तेल के दाम महज 10 रुपये लीटर ही बढ़े हैं। दूसरी ओर सबसे मंहगा बिकने वाला मूंगफली तेल का दाम 5-7 रुपये लीटर घटा है। लेकिन इसके कारण देश की बंद पड़ी मिलें चल गई और किसानों को फायदा पहुंचा। राजस्थान में तो सरसों तेल और आयातित तेलों से भी सस्ते थोक दाम में मूंगफली तेल बिक रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले लगभग 15 सालों से खाद्यतेलों का दाम नहीं बढ़ा है, जिसके कारण देश का तिलहन उत्पादन भी नहीं बढ़ पाया है। देश में उत्पादन बढ़ने पर असामान्य परिस्थिति में तो स्थितियों को कई तरह के उपायों से निपटा जा सकता है। पर जब खाद्यतेलों के लिए आयात पर निर्भरता रहेगी, तो उसे नियंत्रित करना आसान नहीं होगा। इस वजह से भी तेल-तिलहन उत्पादन मामले में आत्मनिर्भरता बेहद आवश्यक है, क्योंकि इसके लिए देश को भारी मात्रा में विदेशीमुद्रा खर्च उठाना पड़ता है।

सोयाबीन तेल में मामूली तेजी

सूत्रों ने कहा कि शिकागो एक्सचेंज कल रात दो प्रतिशत से अधिक तेज बंद हुआ था जिसकी वजह से सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार आया। लेकिन ऊंचे भाव पर डी-आयल्ड केक (डीओसी) की मांग प्रभावित होने से सोयाबीन तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। मूंगफली की आवक लगभग ढाई लाख बोरी के आसपास पहुंचने तथा नमी वाले माल के कारण कम बिकवाली के बीच मूंगफली तेल-तिलहन पूर्वस्तर पर बने रहे। ठंड के मौसम में कम मांग के कारण सीपीओ और पामोलीन तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। वैसे सोमवार को मलेशिया एक्सचेंज के खुलने पर पाम, पामोलीन के आगे के रुख के बारे में पता लगेगा। सूत्रों ने कहा कि अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से सोयाबीन फसल 5-7 प्रतिशत नीचे दाम पर, मूंगफली फसल 5-7 प्रतिशत नीचे दाम पर और सूरजमुखी तेल 20 प्रतिशत से नीचे दाम पर बिक रहा है। इसकी भी खोज खबर लेने की जरुरत है, केवल थोक भाव कम होने से स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

  • सरसों तिलहन - 6,475-6,525 रुपये प्रति क्विंटल।
  • मूंगफली - 6,350-6,625 रुपये प्रति क्विंटल।
  • मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,100 रुपये प्रति क्विंटल।
  • मूंगफली रिफाइंड तेल - 2,270-2,570 रुपये प्रति टिन।
  • सरसों तेल दादरी- 13,500 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सरसों पक्की घानी- 2,160-2,260 रुपये प्रति टिन।
  • सरसों कच्ची घानी- 2,160-2,285 रुपये प्रति टिन।
  • तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,650 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,150 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,050 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सीपीओ एक्स-कांडला- 12,350 रुपये प्रति क्विंटल।
  • बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,600 रुपये प्रति क्विंटल।
  • पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,800 रुपये प्रति क्विंटल।
  • पामोलिन एक्स- कांडला- 12,750 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
  • सोयाबीन दाना - 4,760-4,810 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सोयाबीन लूज- 4,460-4,695 रुपये प्रति क्विंटल।
  • मक्का खल (सरिस्का)- 4,200 रुपये प्रति क्विंटल।

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