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Mutual Fund कर्मचारियों के लिए निवेश नियमों को लेकर सेबी ने रखा ये प्रस्ताव, जानें पूरी बात

सेबी ने अपने कंसल्टेशन पेपर में कहा है कि न्यूनतम अनिवार्य निवेश राशि को 20 प्रतिशत से घटाया जा सकता है और कर्मचारियों के कुल वेतन के आधार पर स्लैब के हिसाब से इसे लागू किया जा सकता है।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Nov 07, 2024 21:23 IST, Updated : Nov 07, 2024 21:23 IST
सेबी ने प्रतिबंधों के अधीन कर्मचारियों के इस्तीफा देने पर यूनिट को समय से पहले जारी करने की परमिशन द
Photo:FILE सेबी ने प्रतिबंधों के अधीन कर्मचारियों के इस्तीफा देने पर यूनिट को समय से पहले जारी करने की परमिशन देने का प्रस्ताव किया है

म्यूचुअल फंड कंपनियों के नामित कर्मचारियों के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी ने खास पहल की है। सेबी ने कर्मचारियों के लिए‘जोखिम एवं जिम्मेदारी के बीच संबंध’ संबंधी नियम को आसान बनाने के लिए गुरुवार को कुछ प्रस्ताव रखे हैं। भाषा की खबर के मुताबिक, ये प्रस्ताव म्यूचुअल फंड (एमएफ) कंपनियों के कर्मचारियों के लिए जरूरी निवेश प्रतिशत को कम करने, इसे सैलरी कैटेगरी के आधार पर लागू करने और न्यूनतम निवेश गणना से ईएसओपी जैसे घटकों को बाहर करने से जुड़े हैं।

प्रस्तावों का मकसद

खबर के मुताबिक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के इन प्रस्तावों का मकसद खासकर कम सैलरी वाले और परिचालन भूमिकाओं में कार्यरत कर्मचारियों के लिए नियम अनुपालन को आसान बनाना है। फिलहाल मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ), मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) और कोष प्रबंधक जैसे पदों पर कार्यरत एमएफ कर्मचारियों को अपने सालाना वेतन और भत्तों का 20 प्रतिशत उन म्यूचुअल फंड में निवेश करना होता है जिनका वे प्रबंधन करते हैं। यह राशि तीन साल के लिए लॉक-इन रहती है।

सैलरी कैटेगरी के मुताबिक हो सकता है तय

सेबी ने अपने कंसल्टेशन पेपर में कहा है कि न्यूनतम अनिवार्य निवेश राशि को 20 प्रतिशत से घटाया जा सकता है और कर्मचारियों के कुल वेतन के आधार पर स्लैब के हिसाब से इसे लागू किया जा सकता है। नियामक ने सुझाव दिया कि 25 लाख रुपये से कम आय वाले कर्मचारियों के लिए कोई अनिवार्य निवेश नहीं होगा जबकि 25-50 लाख रुपये के बीच वेतन वाले 10 प्रतिशत, 50 लाख रुपये-एक करोड़ रुपये वाले 14 प्रतिशत और एक करोड़ रुपये से अधिक वेतन वाले 18 प्रतिशत निवेश करेंगे।

लचीलेपन की अनुमति देने का प्रस्ताव भी रखा

सेबी ने मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) और बिक्री प्रमुख जैसे गैर-निवेश कर्मचारियों के लिए अनिवार्य निवेश शर्तों को शिथिल करने और फंड कंपनियों के भीतर हर कर्मचारी की भूमिका और गतिविधियों के आधार पर लचीलेपन की अनुमति देने का प्रस्ताव भी रखा है। मौजूदा नियमों के तहत म्यूचुअल फंड का प्रबंधन करने वाली कंपनी के सभी नामित कर्मचारियों के लिए निवेश का समान प्रतिशत जरूरी है। सेबी ने कर्मचारी शेयर विकल्प योजना (ईएसओपी) जैसे गैर-नकद घटकों को न्यूनतम निवेश गणना से बाहर करने का सुझाव दिया है।

साथ ही सेबी ने प्रतिबंधों के अधीन कर्मचारियों के इस्तीफा देने पर यूनिट को समय से पहले जारी करने की परमिशन देने का प्रस्ताव किया है। मौजूदा नियमों के तहत अगर कर्मचारी रिटायरमेंट की उम्र से पहले नौकरी छोड़ देते हैं तो उन्हें अलॉटेड यूनिट लॉक हो जाती हैं। रिटायर होने की स्थिति में क्लोज-एंडेड योजनाओं को छोड़कर लॉक-इन हटा दिया जाता है।

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