Highlights
- गेहूं, कच्चे पाम तेल, मूंग में नए डेरिवेटिव अनुबंध शुरू नहीं करने का निर्देश
- एग्री कमोडिटी के वायदा कॉन्ट्रैक्ट में कारोबार को एक साल के लिए निलंबित
- सरकार चाहती है कि दलहन और तिलहन की कीमतें काबू में रहें
नयी दिल्ली। बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को शेयर बाजारों को अगले आदेश तक गेहूं, कच्चे पाम तेल, मूंग और कुछ अन्य जिंसों में नए डेरिवेटिव अनुबंध शुरू नहीं करने का निर्देश दिया। इसके साथ सरकार की कोशिश महंगाई पर काबू पाने की है। वित्त मंत्रालय ने कुछ एग्री कमोडिटी के वायदा कॉन्ट्रैक्ट में कारोबार को एक साल के लिए निलंबित कर दिया है।
एक विज्ञप्ति के अनुसार ये निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। धान (गैर-बासमती), गेहूं, सोयाबीन, कच्चे पाम तेल और मूंग के लिए नए अनुबंधों की शुरूआत पर नियामक ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है। सूची में चना, और सरसों के बीज और इसके डेरिवेटिव भी शामिल हैं। इन जिंसों में डेरिवेटिव अनुबंधों को इस साल की शुरुआत में निलंबित कर दिया गया था। सेबी के आदेश के तहत पहले से चल रहे अनुबंधों के संबंध में कोई भी नया सौदा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और केवल सौदे को पूरा करने की अनुमति होगी। बयान के मुताबिक ये निर्देश एक साल के लिए लागू होंगे।
किन जिंसों के वायदा पर प्रतिबंध
सरकार ने 7 एग्री कमोडिटी के वायदा पर रोक लगाई है। इसके तहत सोयाबीन और इसके डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स पर प्रतिबंध, मूंग, चना, क्रूड पाम तेल सरसों, धान (गैर-बासमती), गेहूं पर 1 साल तक रोक, 20 दिसंबर से नई पोजीशन लेने पर रोक लगी है। निवेशकों के पास मौजूदा सौदे को सिर्फ खत्म करने की इजाजत है। अगले आदेश तक फ्यूचर्स-ऑप्शंस के नए कॉन्टैक्ट लॉन्च नहीं होंगे।
क्यों लगा प्रतिबंध?
महंगाई के आंकड़ सरकार को परेशान करने वाले हैं। सरकार चाहती है कि दलहन और तिलहन की कीमतें काबू में रहें। इसके चलते सरकार ने यह कदम उठाया है। इनकी कीमतों को काबू में करने के लिए सरकार ने इन कमोडिटीज के वायदा कारोबार पर रोक लगाई है। सरकार के इस फैसले से वायदा बाजार का संतुलन कमजोर होगा।