भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) छोटे कारोबारियों या व्यवसायों द्वारा जुटाए गए फंड के आखिरी इस्तेमाल पर नजर रखने की तैयारी में है। भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन सीएस सेट्टी शुक्रवार को समर्पित संस्थानों की वकालत की है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, छोटे व्यवसायों द्वारा उधार लिए गए या इक्विटी के रूप में जुटाए गए फंड के आखिरी उपयोग पर नजर रखने के लिए एक मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर संस्थान के निर्माण की वकालत की। फंड के उपयोग पर चिंताएं बढ़ी हैं।
एक व्यवहार्य तंत्र की जरूरत
खबर के मुताबिक, एसबीआई चेयरमैन ने कहा कि हमें इन फंड के असल इस्तेमाल पर नजर रखने के लिए एक व्यवहार्य तंत्र की जरूरत होगी। इससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि फंड का उपयोग उन मकसदों के लिए किया जाए जिनके लिए उन्हें जुटाया गया है। एक अलग मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर संस्थान की स्थापना के माध्यम से, जिसके पास उधार लिए गए फंड या इक्विटी के माध्यम से जुटाए गए फंड के उपयोग पर नज़र रखने की शक्ति हो। सेट्टी ने कहा कि इस तरह के प्लेटफॉर्म के तैयार होने से ऋणदाताओं के साथ-साथ निवेशकों को भी सुविधा मिलेगी और मूल्य निर्धारण अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएगा।
भारतीय रिजर्व बैंक बना रहा निगरानी का दबाब
बता दें, भारतीय रिजर्व बैंक बैंकों पर अंतिम उपयोग निधियों की निगरानी करने का दबाव बना रहा है, खासकर छोटे व्यवसायों द्वारा उधार लेने के मामले में। पिछले साल मार्च में, केंद्रीय बैंक ने व्यवसाय क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले ऋणदाताओं से निधियों के अंतिम उपयोग की निगरानी करने को कहा था। ऐसी भी रिपोर्टें आई हैं कि कुछ असुरक्षित उधारों का इस्तेमाल डेरिवेटिव बाजारों के जोखिम भरे क्षेत्रों में दांव लगाने के लिए किया जा रहा है।
2036 तक 8-9 प्रतिशत की जीडीपी ग्रोथ की जरूरत
सेट्टी ने कहा कि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 2036 तक 8-9 प्रतिशत की जीडीपी ग्रोथ की जरूरत होगी, उन्होंने अगले दशक में आवश्यक पूंजी का अनुमान दिया। उन्होंने कहा कि विकास के एजेंडे को हासिल करने के लिए घरेलू बचत दर को मौजूदा स्तर से कम से कम 3.50 प्रतिशत अंक बढ़ाकर 33.5 प्रतिशत करना होगा। उन्होंने कहा कि पूंजी बाजार की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी और हमें देश के इक्विटी बाजारों में गहराई की आवश्यकता होगी।