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SBI के ग्राहक ध्यान दें! घर-वाहन समेत दूसरे लोन की EMI बढ़ेगी, बैंक ने कर्ज की दर में दूसरी बार किया इजाफा

एसबीआई ने अपनी सीमांत लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) में 10 आधार अंकों या 0.1 प्रतिशत की वृद्धि की है। यह एक महीने में दूसरी बढ़ोतरी है। लगातार दो वृद्धि के साथ एमसीएलआर में 0.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

Edited by: Alok Kumar @alocksone
Published on: May 16, 2022 11:49 IST
SBI- India TV Paisa
Photo:FILE

SBI

SBI: भारतीय स्टेट बैंक (State Bank ) ने एक बार फिर एमसीएलआर रेट में इजाफा कर दिया है। बैंक ने एक महीने के अंदर यह दूसरी बढ़ोतरी की है। इस बढ़ोतरी से बैंक से घर-वाहन समेत दूसरे लोन लेना महंगा हो जाएगा। वहीं, पहले से लोन लिए ग्राहकों पर भी ईएमआई का बोझ बढ़ेगा। मिली जानकारी के मुताबिक, एसबीआई ने अपनी सीमांत लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) में 10 आधार अंकों या 0.1 प्रतिशत की वृद्धि की है। यह एक महीने में दूसरी बढ़ोतरी है। लगातार दो वृद्धि के साथ एमसीएलआर में 0.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

इस तरह ब्याज बढ़ोतरी का बोझ बढ़ेगा 

एक महीने में दूसरी बढ़ोतरी के बाद अब एसबीआई का न्यूनतम ब्याज दर 6.85 फीसदी और अधिकतम ब्याज दर 7.5 फीसदी होगा। ओवरनाइट लोन के लिए MCLR 6.75 फीसदी से बढ़कर 6.85 फीसदी हो गया। एक महीने के लिए एमसीएलआर अब 6.85 फीसदी, तीन महीने के लिए 6.85 फीसदी, छह महीने के लिए 7.15 फीसदी, एक साल के लिए 7.20 फीसदी, दो साल के लिए 7.40 फीसदी और तीन साल के लिए 7.50 फीसदी हो गया है। ऐसे में स्टेट बैंक देश का सबसे बड़ा बैंक है। होम लोन और ऑटो लोन में उसकी हिस्सेदारी 35 से लेकर 45 फीसदी तक है। माना जा रहा है कि एसबीआई के ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद दूसरे बड़े बैंक भी जल्द ही ऐसा ही कदम उठा सकते हैं। 

क्या होता है एमसीएलआर

सीमांत लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) किसी भी बैंक का अंदरुनी बेंचमार्क रेट होता है। यह किसी भी लोन की न्यूनतम ब्याज दर तय करने को परिभाषित करता है। एमसीएलआर को आरबीआई ने भारतीय वित्तीय प्रणाली में 2016 में शामिल किया था। इससे पहले 2010 में लागू किए गए बेस रेट सिस्टम के तहत ब्याज तय किया जाता था। एससीएलआर में बढ़ोतरी का मतलब है कि बैंक की लगात बढ़ गई है। वह इसकी भरपाई लोन के ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर करेगा। गौरतलब है कि आरबीआई द्वारा रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद सभी सरकारी और प्राइवेट बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं। इससे लोन की ईएमआई का बोझ बढ़ रहा है। 

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