Highlights
- कम दाम पर रूसी तेल का सामान्य से अधिक आयात फायदेमंद
- सस्ते तेल से कंपनियों की बैलेंस शीट में सुधार देखा जा सकता है
- पेट्रोल, डीजल, LPG की स्थिर कीमतों से कंपनियों का नुकसान बढ़ा
यूरोप की धरती पर लड़े जा रहे रूस और यूक्रेन के युद्ध का सबसे बुरा असर एशिया के विकासशील देशों पर पड़ रहा है। कच्चे तेल की कीमतें मात्र 4 महीनों में 84 से 140 डॉलर के करीब पहुंच गईं। उस पर भारत में करीब दो महीने से स्थिर कीमतों ने भारतीय तेल कंपनियों की सांसें फुला रखी है। हालांकि इस मुश्किल घड़ी में रूस ही भारत के काम आ रहा है। करीब 40 डॉलर के डिस्काउंट से भारतीय तेल कंपनियों को मिल रहा यूराल ग्रेड कच्चे तेल बड़ी राहत लेकर आया है।
रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स के अनुसार बाजार कीमतों से काफी कम दाम पर रूसी तेल का सामान्य से अधिक आयात किए जाने से सरकारी खुदरा पेट्रोलियम कंपनियों के लिए निकट अवधि में कार्यशील पूंजी की जरूरत में कमी आ सकती है। इससे भले ही आम लोगों को सस्ता तेल नसीब न हो लेकिन तेल कंपनियों की बैलेंस शीट जरूर ही सुधर सकती है।
रूसी तेल से नुकसान की भरपाई
खुदरा पेट्रोलियम कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने पिछले कुछ महीनों में पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस एलपीजी के खुदरा बिक्री मूल्य में लागत के हिसाब से बदलाव नहीं किए हैं। वे आइल मार्केटिंग पर नुकसान उठाती हैं और इसकी भरपाई सस्ते रूसी कच्चे तेल की रिफाइनिंग से हासिल होने वाले उच्च रिफाइनरी मार्जिन से कर रही हैं।
रूसी तेल का सामान्य से अधिक आयात फायदेमंद
फिच ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि बढ़ती वैश्विक मांग और रिफाइंड उत्पादों के लिए आपूर्ति में कमी आने से रिफाइनिंग मार्जिन को समर्थन मिलता है और तेल कंपनियों के विपणन मार्जिन में क्रमिक सुधार होता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, "बाजार कीमतों पर मिल रही खासी छूट पर रूसी तेल का सामान्य से अधिक आयात करना तेल विपणन कंपनियों के लिए निकट अवधि की कार्यशील पूंजी की जरूरतों को कम कर सकता है।"
जल्द बदल सकती हैं पेट्रोल डीजल के कीमतें
रेटिंग एजेंसी ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि भारत में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें मध्यम अवधि में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के अनुरूप रहेंगी। इससे तेल विपणन कंपनियों के विपणन मार्जिन में वित्त वर्ष 2022-23 के बाकी समय में धीरे-धीरे सुधार होना चाहिए, भले ही यह सामान्य स्तर से कम हो।" कच्चे तेल की कीमत 84 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर मार्च की शुरुआत में 14 साल के उच्च स्तर 139 डॉलर पर पहुंच गयी थीं। हालांकि बाद में इसमें धीरे-धीरे कुछ गिरावट आई और इस समय यह 119 डॉलर प्रति बैरल के करीब है।