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सस्ता हुआ कच्चा तेल फिर भी भारत के लिए चुनौती बरकरार, कीमतें अब भी 100 डॉलर के पार

विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आने वाले हैं और उसके बाद घरेलू स्तर पर पेट्रोल एवं डीजल के दाम में तीव्र बढ़ोतरी देखी जा सकती है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: February 25, 2022 16:42 IST
Petrol Pump- India TV Paisa

Petrol Pump

Highlights

  • ब्रेंट क्रूड के भाव सात साल के उच्चतम स्तर से शुक्रवार को नीचे आ गये
  • अभी भी 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर है
  • यह भारत की मुद्रास्फीति एवं चालू खाता घाटे के लिए चुनौतीपूर्ण

नयी दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड के भाव सात साल के उच्चतम स्तर से शुक्रवार को नीचे आ गये। लेकिन अभी भी 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर है, यह भारत की मुद्रास्फीति एवं चालू खाता घाटे के लिए चुनौतीपूर्ण है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद बृहस्पतिवार को ब्रेंट क्रूड 105 डॉलर प्रति बैरल को भी पार कर गया था। इस तनावपूर्ण स्थिति के बावजूद तेल की आपूर्ति पर कोई खतरा नहीं पड़ने की संभावना से आज इसके भाव में नरमी देखी गई। 

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब समेत पांच राज्यों में जारी विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आने वाले हैं और उसके बाद घरेलू स्तर पर पेट्रोल एवं डीजल के दाम में तीव्र बढ़ोतरी देखी जा सकती है। दरअसल नवंबर 2021 की शुरुआत से ही पेट्रोलियम उत्पादों के दाम स्थिर बने हुए हैं। तेल कीमतों के प्रस्तावित वृद्धि के बारे में केंद्र सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, "सरकार हालात पर करीबी निगाह बनाए हुए है और जब जरूरत महसूस होगी तब समुचित कदम उठाएगी।" 

शुक्रवार को कारोबार के दौरान ब्रेंट क्रूड 101 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर दर्ज किया गया। एक तेल कारोबारी ने कहा कि मौजूदा हालात में तेल कीमतों पर जोखिम से जुड़ा 10-15 डॉलर प्रति बैरल का प्रीमियम है। उद्योग सूत्रों ने कहा कि पेट्रोल एवं डीजल की खुदरा कीमतों और इन पर आने वाली लागत में करीब 10 रुपये का फासला है और चुनावों के बाद तेल कीमतों में वृद्धि से मुद्रास्फीति दर पर दबाव देखा जाएगा। 

मुद्रास्फीति पहले ही आरबीआई के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर चल रही है। इसके अलावा अपनी तेल जरूरतों का 85 प्रतिशत आयात से पूरा करने वाले भारत के चालू खाता घाटे पर भी ऊंची तेल कीमतों की मार पड़ेगी। इसकी वजह यह है कि देश को कच्चे तेल की बढ़ी हुई दरों पर भुगतान करना होगा और उसका आयात बिल बढ़ जाएगा। मॉर्गन स्टैनली ने कहा कि तेल कीमतों में वृद्धि दुनिया के तीसरे बड़े तेल आयातक भारत के नजरिये से नकारात्मक है। 

ग्रेट ईस्टर्न एनर्जी कॉर्प लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी प्रशांत मोदी ने कहा कि हाइड्रोकार्बन की उपलब्धता वैश्विक स्तर पर एक बड़ी समस्या बन सकती है। उन्होंने कहा कि यह संकट घरेलू स्तर पर तेल एवं गैस उत्पादन को बढ़ावा देने की जरूरत को फिर से रेखांकित करता है। 

एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी ने कहा कि कोविड महामारी के संकट से उबरने में जुटी विश्व अर्थव्यवस्था के सामने अब यूक्रेन संकट के रूप में नई चुनौती आ गई है। उन्होंने आशंका जताई कि इस संकट के लंबा खिंचने की स्थिति में कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर ही टिका रह सकता है।

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