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ग्रामीण बैंकों को Share Market में सूचीबद्ध होने का मौका मिलेगा, सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किए

आरंभिक सार्जनिक निर्गम (आईपीओ) लाने के लिए उपयुक्त बैंक की पहचान करने की जिम्मेदारी इन ग्रामीण बैंकों के प्रायोजक बैंकों पर छोड़ दी गई है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: October 02, 2022 16:28 IST
Rural Bank- India TV Paisa
Photo:FILE Rural Bank

Highlights

  • पांच साल में से कम-से-कम तीन साल न्यूनतम 15 करोड़ रुपये का परिचालन लाभ जरूरी
  • ग्रामीण बैंकों के पास बीते तीन वर्ष के दौरान कम-से-कम 300 करोड़ की शुद्ध संपत्ति होनी चाहिए
  • मौजूदा समय में 43 आरआरबी हैं जिनके प्रायोजक सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंक हैं

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के लिए सरकार ने मसौदा दिशा-निर्देश जारी किए हैं जिन पर खरा उतरने वाले इस श्रेणी के बैंक शेयर बाजार में सूचीबद्ध होकर वित्तीय संसाधन जुटा सकेंगे। इन दिशा-निर्देशों के मुताबिक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पास बीते तीन वर्ष के दौरान कम-से-कम 300 करोड़ रुपये की शुद्ध संपत्ति होनी चाहिए तथा इस दौरान उनकी पूंजी पर्याप्तता भी नौ फीसदी के न्यूनतम नियामक स्तर से अधिक होनी चाहिए। वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी मसौदा दिशा-निर्देश में कहा गया है कि शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने की मंशा रखने वाले आरआरबी का लाभ अर्जित करने का रिकॉर्ड होना चाहिए।

15 करोड़ रुपये का परिचालन लाभ जरूरी

यह भी जरूरी है कि बीते पांच साल में से कम-से-कम तीन साल उन्हें न्यूनतम 15 करोड़ रुपये का परिचालन लाभ कमाया हो। मसौदा नियमों के अनुसार, अपना आरंभिक सार्जनिक निर्गम (आईपीओ) लाने के लिए उपयुक्त बैंक की पहचान करने की जिम्मेदारी इन ग्रामीण बैंकों के प्रायोजक बैंकों पर छोड़ दी गई है। आईपीओ के लिए उपयुक्त आरआरबी का चयन करते समय प्रायोजक बैंक को पूंजी जुटाने और खुलासा आवश्यकताओं संबंधी सेबी और आरबीआई के नियमों को भी ध्यान में रखना चाहिए। गौरतलब है कि कृषि कर्ज में अहम भूमिका निभाने वाले क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ही प्रायोजित करते हैं। मौजूदा समय में 43 आरआरबी हैं जिनके प्रायोजक सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंक हैं।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को बढ़ावा देने का सुझाव दिया

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया था। गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सितंबर 2018 में शहरी सहकारी समितियों और सूक्ष्मवित्त संस्थानों को खुद को एसएफबी में बदलने की अनुमति दी थी। सबसे बड़ा आरआरबी बड़ौदा यूपी बैंक है, जिसके बही-खाते का आकार 72,015 करोड़ रुपये है और यह सबसे बड़े एसएफबी - एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक के मुकाबले काफी बड़ा है, जिसके कारोबार का आकार 70,588 करोड़ रुपये है। दूसरा सबसे बड़ा आरआरबी कर्नाटक ग्रामीण बैंक है, जिसके कारोबार का आकार 54,856 करोड़ रुपये है, जबकि दूसरे सबसे बड़े एसएफबी - इक्विटास का कारोबार सिर्फ 33,240 करोड़ रुपये का है। आरआरबी में तीसरे स्थान पर आर्यावर्त बैंक (48,649 करोड़ रुपये) है, जबकि तीसरा सबसे बड़ा एसएफबी उज्जीवन लघु वित्त बैंक (27,630 करोड़ रुपये) है।

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