Highlights
- शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 82.35 के भाव पर बंद हुआ
- विदेशी मुद्रा भंडार सात अक्टूबर 2022 तक 532.87 अरब डॉलर था
- एक साल पहले के 642.45 अरब डॉलर से कहीं कम है
Rupee Vs Dollar: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इस वर्ष भारतीय मुद्रा रुपये में आई आठ फीसदी की गिरावट को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कहा है कि कमजोरी रुपये में नहीं आई बल्कि डॉलर में मजबूती आई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की सालाना बैठकों में शामिल होने के बाद सीतारमण ने शनिवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत में भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद को मजबूत बताते हुए कहा कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती के बावजूद भारतीय रुपया में स्थिरता बनी हुई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में भारत में मुद्रास्फीति कम है और मौजूदा स्तर पर उससे निपटा जा सकता है।
डॉलर लगातार मजबूत हो रहा
रुपये में गिरावट आने से जुड़े एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘सबसे पहली बात, मैं इसे इस तरह नहीं देखूंगी कि रुपया फिसल रहा है बल्कि मैं यह कहना चाहूंगी कि रुपये में मजबूती आई है। डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मजबूत हो रहे डॉलर के सामने अन्य मुद्राओं का प्रदर्शन भी खराब रहा है लेकिन मेरा खयाल है कि अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं की तुलना में भारतीय रुपया ने बेहतर प्रदर्शन किया है।’’ शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 82.35 के भाव पर बंद हुआ था। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार सात अक्टूबर 2022 तक 532.87 अरब डॉलर था जो एक साल पहले के 642.45 अरब डॉलर से कहीं कम है। सीतारमण ने कहा कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की मुख्य वजह अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण मूल्यांकन में बदलाव आना है। भारतीय रिजर्व बैंक का भी ऐसा ही कहना है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद अच्छी
सीतारमण ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद अच्छी है, व्यापक आर्थिक बुनियाद भी अच्छी है। विदेशी मुद्रा भंडार अच्छा है। मैं बार-बार कह रही हूं कि मुद्रास्फीति भी इस स्तर पर है जहां उससे निपटना संभव है।’’ उन्होंने कहा कि वह चाहती हैं कि मुद्रास्फीति छह फीसदी से नीचे आ जाए, इसके लिए सरकार भी प्रयास कर रही है। सीतारमण ने दहाई अंक की मुद्रास्फीति वाले तुर्किये जैसे कई देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि दूसरे देश बाहरी कारकों से बहुत ही बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘बाकी की दुनिया की तुलना में अपनी स्थिति को लेकर हमें सजग रहना होगा।
वित्तीय घाटे को लेकर पूरी तरह से सतर्क
मैं वित्तीय घाटे को लेकर पूरी तरह से सतर्क हूं।’’ वित्त मंत्री ने बढ़ते व्यापार घाटे के मुद्दे पर कहा, ‘‘इसका मतलब है कि हम निर्यात की तुलना में ज्यादा आयात कर रहे हैं। हम यह भी देख रहे हैं कि यह अनुपातहीन वृद्धि क्या किसी एक देश के मामले में हो रही है।’’ उनका इशारा असल में चीन के लिहाज से व्यापार घाटा बढ़कर 87 अरब डॉलर होने की ओर था।