मुंबई। चालू खाते का घाटा (कैड) बढ़ने, ऊर्जा की ऊंची कीमतों और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी के चलते रुपये पर दबाव बढ़ने का अनुमान है और इससे स्थानीय मुद्रा मार्च, 2023 तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 77.5 के स्तर तक टूट सकती है। क्रिसिल रेटिंग की रिपोर्ट में यह बात कही गई। रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च-2022 में डॉलर के मुकाबले रुपया 76.5 पर रह सकता है।
रेटिंग एजेंसी द्वारा बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘रुपया पहले ही बाहरी तनावों का सामना कर रहा है और हमारा मानना है कि मार्च, 2023 तक इसमें और मूल्यह्रास होगा तथा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले यह लगभग 77.5 के स्तर पर आ जाएगा।’’ क्रिसिल ने कहा, ‘‘कमजोरी में दो कारकों की प्रमुख भूमिका होगी। एक उच्च ऊर्जा कीमतें चालू खाते के घाटे को बढ़ा रही हैं, और दूसरी अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में बढ़ोतरी के चलते कुछ पूंजी बाहर गई है।’’
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा विदेशी मुद्रा बाजारों में हस्तक्षेप जारी रखने की उम्मीद के साथ रुपये की गिरावट को सीमित करने में मदद मिलेगी। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि निकट अवधि में भू-राजनीतिक तनाव के कारण रुपये को अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है, और यह वृद्धि आगे जारी रखने के संकेत दिए हैं। एजेंसी का अनुमान है कि चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद के 2.4 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा।