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Rupee plunges: पहली बार एक डॉलर की कीमत 79 रुपये से अधिक, जानिए, कहां तक टूटेगा रुपया

बैंक ऑफ अमेरिका के अनुसार, कच्चे तेल और माल की बढ़ती कीमतों के कारण भारतीय रुपया साल के अंत तक 81 प्रति डॉलर तक टूट सकता है।

Edited by: Alok Kumar @alocksone
Published on: June 29, 2022 17:04 IST
rupee- India TV Paisa
Photo:FILE

rupee

Rupee plunges: पहली बार एक डॉलर की कीमत 79 रुपये से अधिक हो गई है। दरअसल, बुधवार को भारतीय रुपया 18 पैसे टूटकर 79.03 (अस्थायी) प्रति डॉलर के रिकॉर्ड लो पर बंद हुआ। इसके चलते डॉलर की कीमत रिकॉर्ड हाई को छू गया है। कच्चे तेल की ऊंची कीमतें, विदेशों में डॉलर की मजबूती और विदेशी पूंजी की निकासी के कारण रुपया लगातार टूट रहा है। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 78.86 पर खुला और कारोबार के अंत में 18 पैसे टूटकर 79.04 (अस्थायी) प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। 

कहां तक टूट सकता है रुपया? 

बैंक ऑफ अमेरिका के अनुसार, कच्चे तेल और माल की बढ़ती कीमतों के कारण भारतीय रुपया साल के अंत तक 81 प्रति डॉलर तक टूट सकता है। इस साल अब तक भारतीय रुपया 6% से अधिक लुढ़क चुकी है। कच्चे तेल कीमतों में तेजी ने रुपया को कमजोर करने का काम यिा है। भारत अपनी जरूरत का लगभग 80% कच्चा तेल आयात करता है। 

मंगलवार को भी आई थी बड़ी गिरावट

मंगलवार को रुपया 48 पैसे गिरकर 78.85 रुपये प्रति डॉलर के अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ था। इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.13 प्रतिशत की तेजी के साथ 104.64 पर आ गया। वहीं, वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.34 प्रतिशत बढ़कर 118.38 डॉलर प्रति बैरल हो गया। शेयर बाजार के अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मंगलवार को शुद्ध रूप से 1,244.44 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। 

रुपये में कमजोरी का क्या असर होगा?

भारत तेल से लेकर जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप समेत अन्य गैजेट्स आयात करता है। अगर रुपया कमजोर होगा तो आयात करने के लिए अधिक पैसे देने होंगे। इसके चलते भारतीय बाजार में इन वस्तुओं की कीमत में बढ़ोतरी होगी। वहीं, कच्चे तेल का आयात भी भारत करता है। इससे कच्चा तेल का आयात भी महंगा होगा। यानी आने वाले दिनों में कच्चे तेल के दाम बढ़ सकते हैं। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। इसका भुगतान भी डॉलर में होता है और डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी, इसके असर से हर जरूरत की चीज पर महंगाई की और मार पड़ेगी।

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