नोटबंदी करने के पीछे सरकार की मंशा जाली नोट को मार्केट से खत्म करनी थी, जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला भी सुनाया है। कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार की नोटबंदी को चुनौती देने वाली सभी 58 याचिकाओं को खारिज कर दिया है। शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा है।
क्या कहा कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि नोटबंदी से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच सलाह-मशविरा हुआ था। हम मानते हैं कि नोटबंदी आनुपातिकता के सिद्धांत से प्रभावित नहीं हुई थी। यानि कि सरकार ने इस फैसले को अपनी शक्ति का प्रदर्शन के लिए नहीं बल्कि विचार-विमर्श करने के बाद लिया था। जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने 7 दिसंबर को सरकार और याचिकाकर्ताओं की पांच दिन की बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि केंद्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को अचानक देश में नोटबंदी कर दी थी। इसके तहत 1000 और 500 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था। इस फैसले के बाद पूरे देश को नोट बदलवाने के लिए लंबी कतारों में लगना पड़ा था।
फेक नोट पहचानने के ये हैं तरीके
सरकार ने जिस उद्देश्य के साथ नोटबंदी की थी। उसमें उसे पूरी सफलता नहीं मिली थी। जाली नोट अब भी मार्केट में सर्कुलेट हो रहे हैं। ऐसे में उन्हें पहचानना एक आम नागरिक होने के नाते बेहद जरूरी हो जाता है। रिजर्व बैंक ने नए 500 के नोट को पहचानने के लिए कुछ गाइडलाइन जारी किए हैं। बता दें, कुछ दिन पहले एक मैसेज में यह दावा किया जा रहा था कि ₹500 का वह नोट नकली है जिसमें हरी पट्टी आरबीआई गवर्नर के सिग्नेचर के पास ना होकर गांधीजी की तस्वीर के पास होती है। इसे फर्जी बताते हुए पीआईबी ने ट्वीट किया कि दोनों ही तरह के नोट मान्य होते हैं।
इसके अलावा, आरबीआई ने 500 रुपये के असली बनाम नकली नोटों के बीच अंतर खोजने में आम नागरिक की मदद करने के लिए एक पीडीएफ 'आरबीआई कहता है - अपने बैंकनोट्स को जानें' साझा किया है।
महात्मा गांधी की तस्वीर वाले बैंक नोटों पर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं। नोट के पीछे के भाग पर लाल किले फोटो लगी होती है, जो देश की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। एचटीई नोट का बेस कलर स्टोन ग्रे है। नोट में अन्य डिजाइन और ज्यामितीय पैटर्न भी हैं।"