रुपये में गिरावट अब भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ ही कारोबारियों से लेकर आम जनता को सताने लगा है। रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार एतिहासिक गहराइयां छू रहा हैै। रुपये की यह गिरावट भारत में महंगाई की नई लहर को सुनामी बनाने का काम कर रही है। बीते 6 महीने से रुपये को लेकर एक जैसी खबर आ रही है। गुरुवार को आई खबर भी कुछ नई बात नहीं है, आज फिर डॉलर के मुकाबले रुपये में 55 पैसे की गिरावट आई है। कच्चे तेल की कीमतों और डॉलर सूचकांक में मजबूती से अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया बृहस्पतिवार को 55 पैसे गिरकर 82.17 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया।
इससे पहले मंगलवार को रुपया 81.62 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ था। बुधवार को दशहरा के अवसर पर बाजार बंद रहा था। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के विदेशी मुद्रा एवं सर्राफा विश्लेषक गौरांग सोमैया ने कहा, ‘‘मंगलवार को रुपये में थोड़ी मजबूती देखी गई थी लेकिन आज यह फिर से दबाव में आ गया। अमेरिकी डॉलर में मजबूती आने से रुपये में गिरावट देखी गई। दरअसल, अमेरिका में सेवा पीएमआई और निजी नौकरियों के आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहने से डॉलर को मजबूती मिली।’’
यूरो और पाउंड में भी गिरावट
सोमैया ने कहा कि डॉलर के मुकाबले यूरो और पाउंड में भी ऊपरी स्तरों पर बिकवाली का दबाव देखा गया। उन्होंने कहा कि अब यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ईसीबी) की बैठक के ब्योरे पर नजरें टिकी रहेंगी। सोमैया ने कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये का हाजिर भाव 81.20 से लेकर 82.05 के दायरे में रहने की उम्मीद है। इस बीच, दुनिया की प्रमुख छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.06 प्रतिशत बढ़कर 111.27 पर पहुंच गया।
क्यों गिर रहा है रुपया
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि रिजर्व बैंक रुपये में गिरावट को रोेकने के लिए कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहा है, वहीं मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ इंग्लैंड के दरों में बढ़ोतरी करने और यूक्रेन में भूराजनीतिक तनाव बढ़ने की वजह से निवेशक जोखिम उठाने से बच रहे हैं। इसके अलावा विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा की मजबूती, घरेलू शेयर बाजार में गिरावट भी रुपये को प्रभावित कर रहे हैं।
आपको कितना नुकसान
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 81 रुपये के पार पहुंच गई है। कच्चे तेल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों तक का आयात, विदेशी शिक्षा और विदेश यात्रा महंगी होने के साथ ही महंगाई की स्थिति और खराब होने की आशंका है। ऐसे में यदि आप दिवाली पर सस्ते मोबाइल फोन, लैपटॉप, स्मार्टटीवी और दूसरे गैजेट्स खरीदने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए बुरी खबर है। विदेश से भारत आने वाली सभी चीजों पर अब महंगाई की मार पड़ना तय माना जा रहा है।
पेट्रोल डीजल सहित दूसरे आयातित प्रोडक्ट होंगे महंगे
डॉलर के मजबूत होने का सीधा असर हमारे आयात पर पड़ता है। भारत जिन वस्तुओं के आयात पर निर्भर है, वहां रुपये की गिरावट महंगाई ला सकती है। इसका असर कच्चे तेल के आयात पर भी पड़ेगा। दूसरी ओर भारत गैजेट्स और रत्नों का भी बड़ा आयातक है। भारत द्वारा आयात किए जाने वाले सामानों में कोयला, प्लास्टिक सामग्री, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, वनस्पति तेल, उर्वरक, मशीनरी, सोना, मोती, कीमती और लोहा व इस्पात शामिल हैं। रुपये की कीमत में बड़ी गिरावट आने से इन वस्तुओं की कीमतों पर असर पड़ सकता है।
आपकी जेब में एक और महंगाई का छेद
रुपये की कमजोरी से सीधा असर आपकी जेब पर होगा। आवश्यक सामानों की कीमतों में तेजी के बीच रुपये की कमजोरी आपकी जेब को और छलनी करेगी। भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। अमेरिकी डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी। इसका सीधा असर हर जरूरत की चीज की महंगाई पर होगा।
पेट्रोल डीजल सहित दूसरे आयातित प्रोडक्ट होंगे महंगे
डॉलर के मजबूत होने का सीधा असर हमारे आयात पर पड़ता है। भारत जिन वस्तुओं के आयात पर निर्भर है, वहां रुपये की गिरावट महंगाई ला सकती है। इसका असर कच्चे तेल के आयात पर भी पड़ेगा। दूसरी ओर भारत गैजेट्स और रत्नों का भी बड़ा आयातक है। ऐसे में रुपये में गिरावट का असर यहां पर भी देखने को मिल सकता है।
मोबाइल लैपटॉप की कीमतों पर असर
भारत अधिकतर मोबाइल और अन्य गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता है। विदेश से आयात के लिए अधिकतर कारोबार डॉलर में होता है। विदेशों से आयात होने के कारण अब इनकी कीमतें बढ़नी तय मानी जा रही है। भारत में अधिकतर मोबाइल की असेंबलिंग होती है। ऐसे में मेड इन इंडिया का दावा करने वाले गैजेट पर भी महंगे आयात की मार पड़ेगी।
विदेश में पढ़ना महंगा
इसका असर विदेश में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों पर रुपये की कमजोरी का खासा असर पड़ेगा। इसके चलते उनका खर्च बढ़ जाएगा। वे अपने साथ जो रुपये लेकर जाएंगे उसके बदले उन्हें कम डॉलर मिलेंगे। वहीं उन्हें चीजों के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। इसके अलावा विदेश यात्रा पर जाने वाले भारतीयों को भी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।