Highlights
- रुपया 84 पैसे टूटकर 77.01 प्रति डॉलर के अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर
- निवेशकों के बीच अमेरिकी डॉलर में सुरक्षित पनाहगाह के रूप में प्रवाह बढ़ा
- रुपये का स्तर निकट भविष्य में 77.50 की ओर जा सकता है
नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन के बीच जारी सैन्य संघर्ष के बीच अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को रुपया 84 पैसे टूटकर 77.01 प्रति डॉलर (अस्थायी) के अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया। विशेषज्ञों ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव से कच्चे तेल की कीमतों ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है। इसके कारण घरेलू मुद्रास्फीति और व्यापक व्यापार घाटे को लेकर चिंताएं भी बढ़ गई हैं। विदेशी कोषों की निरंतर निकासी और घरेलू शेयर बाजारों में कमजोरी के रुख का भी निवेशकों की धारणा पर असर पड़ा। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 76.85 प्रति डॉलर पर खुला। कारोबार के दौरान यह 77.01 प्रति डॉलर पर आ गया। इसमें पिछले बंद भाव के मुकाबले 84 पैसे की गिरावट दर्ज की गई। इससे पहले शुक्रवार को रुपया 23 पैसे गिरकर 76.17 प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो 15 दिसंबर, 2021 के बाद इसका सबसे निचला स्तर था।
रुपया टूटने का आपकी जेब पर असर
भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी पेट्रोलियम प्रोडक्ट आयात करता है। रुपये में गिरावट से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का आयात महंगा हो जाएगा। यानी पेट्रोल-डीजल की कीमत और तेजी से बढ़ेगी।
भारत अपनी जरूरत को पूरा करने के लएि बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है। रुपये के कमजोर होने से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें बढ़ जाएंगी।
रुपया कमजोर होने से विदेश में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों पर खासा असर पड़ेगा। माता-पिता को अपने बच्चों को विदेश में पढ़ाने पर ज्यादा खर्च करने होंगे। इसके अलावा विदेश यात्रा पर जाने वाले भारतीयों को भी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।
रुपया कमजोर होने पर इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र को भी नुकसान होगा, क्योंकि महंगे इलेक्ट्रॉनिक गु्ड्स आयात किए जा सकेंगे। रुपये की कमजोरी का नकारात्मक असर जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर पर दिखाई देगा।
भारत बड़ी मात्रा में जरूरी उर्वरकों और रसायन का आयात करता है। रुपये की कमजोरी से यह भी महंगा होगा।
अभी और टूट सकता है रुपया
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड की उपाध्यक्ष जिंस और मुद्रा अनुसंधान सुगंधा सचदेवा ने कहा, अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया है। रूस-यूक्रेन संघर्ष ने बाजार में जोखिम उठाने की धारणा को कम कर दिया है, जबकि अमेरिकी डॉलर में सुरक्षित पनाहगाह के रूप में प्रवाह बढ़ा है। सचदेवा के अनुसार रुपये का स्तर निकट भविष्य में 77.50 की ओर जा सकता है। इस बीच, छह मुद्राओं की तुलना में डॉलर का रुख दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.46 प्रतिशत मजबूत होकर 99.09 पर कारोबार कर रह था। वैश्विक मानक ब्रेंट क्रूड वायदा की कीमत 6.55 प्रतिशत उछलकर 125.85 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई।