Highlights
- मंगलवार को रुपया कारोबार के दौरान 80.05 तक गया
- इस साल रुपया अबतक 7.5 प्रतिशत या 5.63 रुपये टूट चुका है
- रुपया ब्रिटिश पाउंड जैसी कई विदेशी मुद्राओं की तुलना में मजबूत हुआ
Rupee Breakdown:मंगलवार को जब से रुपये ने डॉलर के मुकाबले 80 का एतिहासिक न्यूनतम स्तर छूआ है, तब से मानो बवाल थमता नजर नहीं आ रहा है। विपक्षी पार्टियां जहां रुपये में गिरावट पर सरकार को कोस रही हैं, वहीं अर्थशास्त्री रुपये के और भी निचले स्तर पर जाने के अनुमान लगाने पर जुट गए हैं।
विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया सोमवार को कारोबार के दौरान पहली बार 80 के स्तर को पार कर गया था। मंगलवार को रुपया कारोबार के दौरान 80.05 तक गया लेकिन अंत में छह पैसे की बढ़त के साथ 79.92 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इस साल रुपया अबतक 7.5 प्रतिशत या 5.63 रुपये टूट चुका है।
इस बीच आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा है कि रुपये में गिरावट चिंता की बात नहीं है। एक ओर जहां रुपये में गिरावट के चलते आम लोग महंगाई की मार झेल रहे हैं, ऐसे में सेठ का यह बयान आश्चर्यचकित जरूर करता है। आइए जानते हैं कि अजय सेठ के इस बयान के मायने क्या हैं?
रुपये में गिरावट के पीछे तर्क
अजय सेठ के मुताबिक रुपये को बेहतर तरीके से प्रबंधित किया गया है, ऐसे में घरेलू मुद्रा की विनिमय दर में गिरावट को लेकर निश्चित तौर पर चिंता करने वाली कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि रुपया ब्रिटिश पाउंड (British Pound), जापानी येन (Japanese Yen) और यूरो (Euro) जैसी कई विदेशी मुद्राओं की तुलना में मजबूत हुआ है। इससे इन मुद्राओं में आयात डॉलर के मुकाबले सस्ता हुआ है।
फेड की दरों में वृद्धि का असर
आर्थिक मामलों के सचिव ने रुपये के मूल्य में गिरावट के लिये फेडरल रिजर्व द्वारा नीतिगत दर में वृद्धि को वजह बताया। इससे अमेरिका में निवेश को लेकर दुनियाभर से डॉलर की निकासी हुई। उन्होंने कहा, ‘‘आरबीआई ने दो सप्ताह पहले ही व्यापक स्तर पर कदम उठाये हैं। इसीलिए, जो भी कदम जरूरी हैं, उन्हें उठाया जा रहा है। अत: हमें इसको लेकर निश्चित रूप से चिंतित होने की जरूरत नहीं है। विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव के संदर्भ में इसे बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जा रहा है।’’
रिजर्व बैंक ने उठाए कदम
भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रवाह बढ़ाने के लिये कई उपाये किये हैं। इसमें कंपनियों के लिये उधारी सीमा बढ़ाना और सरकारी बॉन्ड में निवेश के लिये नियमों को उदार बनाना शामिल हैं। सेठ ने कहा कि रिजर्व बैंक रुपये के किसी खास स्तर पर गौर नहीं करता। वह ज्यादा उतार-चढ़ाव को रोकने के लिये काम करता है।