Rupee @ 81: इस साल महंगाई वाली दीवाली मनाने के लिए तैयार हो जाइए। रुपये की एतिहासिक गिरावट ने आम आदमी की कमर तोड़ने की पूरी तैयारी कर ली है। रिजर्व बैंक जिस रुपये को 80 से नीचे जाने से रोक रहा था, वह अब 81 के पार पहुंच गया है। इस साल 9 महीने में ही रुपया 6 प्रतिशत टूट चुका है।
बुधवार को फेड के नतीजों के बाद रुपया पहल 80 और फिर 81 के स्तर को भी पार कर गया। रुपये में ये गिरावट महंगाई की आग को और भड़काएगी। भारत अपनी जरूरत के सामान जैसे कच्चा तेल, गैस, कोयला, खाने का तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी आदि विदेश से आयात करता है। हमारे रोजमर्रा के उपयोग के सामान बनाने के लिए ये कच्चा माल है, ऐसे में महंगाई इस दिवाली पर आपकी जेब जलाएगी, यह तो तय है।
81 को भी पार कर गया रुपया
अमेरिकी डॉलर में मजबूती के बीच निवेशक जोखिम उठाने से बच रहे हैं जिसके चलते शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 44 पैसे की गिरावट के साथ पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 81 के स्तर को पार कर गया। डॉलर के मुकाबले रुपया 81.08 पर खुला, फिर और फिसलकर 81.23 पर आ गया जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 44 पैसे की गिरावट दर्शाता है।
क्यों गिर रहा है रुपया
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि रिजर्व बैंक रुपये में गिरावट को रोेकने के लिए कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहा है, वहीं मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ इंग्लैंड के दरों में बढ़ोतरी करने और यूक्रेन में भूराजनीतिक तनाव बढ़ने की वजह से निवेशक जोखिम उठाने से बच रहे हैं। इसके अलावा विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा की मजबूती, घरेलू शेयर बाजार में गिरावट भी रुपये को प्रभावित कर रहे हैं। फेडरल रिजर्व ने प्रमुख नीतिगत ब्याज दर 0.75 फीसदी बढ़ाई है, वहीं बैंक ऑफ इंग्लैंड ने भी बृहस्पतिवार को अपनी प्रधान ब्याज दर बढ़ाकर 2.25 प्रतिशत कर दी। स्विस नेशनल बैंक ने भी ब्याज दर 0.75 फीसदी बढ़ाई है।
रिजर्व बैंक क्यों नहीं दे रहा सहारा
रुपये को फरवरी के बाद से अपनी सबसे बड़ी एकल सत्र प्रतिशत गिरावट का सामना करना पड़ा है। गुरूवार को रुपया 83 पैसे टूटकर 80.79 के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ था। रुपये में गिरावट का एक कारण रिजर्व बैंक द्वारा हस्तक्षेप न करना है। हालांकि आरबीआई के पास भी अधिक विकल्प नहीं बचे हैं। बैंकिंग प्रणाली में पहले ही तरलता की कमी है, उस पर विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट आ रही है। अब निगाहें अगले सप्ताह आरबीआई की मौद्रिक नीति पर है। जहां एक बड़ी बढ़ोत्तरी की संभावनाएं बन रही हैं।
आपको कितना नुकसान
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 81 रुपये के पार पहुंच गई है। कच्चे तेल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों तक का आयात, विदेशी शिक्षा और विदेश यात्रा महंगी होने के साथ ही महंगाई की स्थिति और खराब होने की आशंका है। ऐसे में यदि आप दिवाली पर सस्ते मोबाइल फोन, लैपटॉप, स्मार्टटीवी और दूसरे गैजेट्स खरीदने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए बुरी खबर है। विदेश से भारत आने वाली सभी चीजों पर अब महंगाई की मार पड़ना तय माना जा रहा है।
पेट्रोल डीजल सहित दूसरे आयातित प्रोडक्ट होंगे महंगे
डॉलर के मजबूत होने का सीधा असर हमारे आयात पर पड़ता है। भारत जिन वस्तुओं के आयात पर निर्भर है, वहां रुपये की गिरावट महंगाई ला सकती है। इसका असर कच्चे तेल के आयात पर भी पड़ेगा। दूसरी ओर भारत गैजेट्स और रत्नों का भी बड़ा आयातक है। भारत द्वारा आयात किए जाने वाले सामानों में कोयला, प्लास्टिक सामग्री, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, वनस्पति तेल, उर्वरक, मशीनरी, सोना, मोती, कीमती और लोहा व इस्पात शामिल हैं। रुपये की कीमत में बड़ी गिरावट आने से इन वस्तुओं की कीमतों पर असर पड़ सकता है।
आपकी जेब में एक और महंगाई का छेद
रुपये की कमजोरी से सीधा असर आपकी जेब पर होगा। आवश्यक सामानों की कीमतों में तेजी के बीच रुपये की कमजोरी आपकी जेब को और छलनी करेगी। भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। अमेरिकी डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी। इसका सीधा असर हर जरूरत की चीज की महंगाई पर होगा।
पेट्रोल डीजल सहित दूसरे आयातित प्रोडक्ट होंगे महंगे
डॉलर के मजबूत होने का सीधा असर हमारे आयात पर पड़ता है। भारत जिन वस्तुओं के आयात पर निर्भर है, वहां रुपये की गिरावट महंगाई ला सकती है। इसका असर कच्चे तेल के आयात पर भी पड़ेगा। दूसरी ओर भारत गैजेट्स और रत्नों का भी बड़ा आयातक है। ऐसे में रुपये में गिरावट का असर यहां पर भी देखने को मिल सकता है।
मोबाइल लैपटॉप की कीमतों पर असर
भारत अधिकतर मोबाइल और अन्य गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता है। विदेश से आयात के लिए अधिकतर कारोबार डॉलर में होता है। विदेशों से आयात होने के कारण अब इनकी कीमतें बढ़नी तय मानी जा रही है। भारत में अधिकतर मोबाइल की असेंबलिंग होती है। ऐसे में मेड इन इंडिया का दावा करने वाले गैजेट पर भी महंगे आयात की मार पड़ेगी।
विदेश में पढ़ना महंगा
इसका असर विदेश में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों पर रुपये की कमजोरी का खासा असर पड़ेगा। इसके चलते उनका खर्च बढ़ जाएगा। वे अपने साथ जो रुपये लेकर जाएंगे उसके बदले उन्हें कम डॉलर मिलेंगे। वहीं उन्हें चीजों के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। इसके अलावा विदेश यात्रा पर जाने वाले भारतीयों को भी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।