बीते साल तक जब सीएनजी की कीमतें पेट्रोल डीजल से करीब आधी हुआ करती थीं, तब लोग खूब जमकर सीएनजी वाहन खरीदा करते थे। सीएनजी करीब 40 से 50 रुपये के आसपास हुआ करती थी वहीं सीएनजी वाहन माइलेज भी बेहतर देते हैं, ऐसे में करीब लाख रुपये महंगी होने के बावजूद लोग सीएनजी वाहन खरीदना ज्यादा किफायती मानते थे।
लेकिन एक साल में 70 प्रतिशत तक महंगी हो चुकी सीएनजी की कीमतों के कारण अब इसके इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में बड़ी कमी दर्ज की गई है। इक्रा रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के अनुसार प्राकृतिक गैस की कीमतों में बढ़ोतरी ने चालू वित्त वर्ष में वाणिज्यिक वाहनों में सीएनजी के इस्तेमाल को घटाकर 9-10 प्रतिशत कर दिया है जबकि पहले यह अनुपात 16 प्रतिशत था। ऐसे में कीमतें बढ़ाने से हुआ लाभ अब खपत घटने के कारण गैस कंपनियों के लिए चिंता का सबब बनती जा रही है।
डीजल और CNG के दाम हुए बराबर
रेटिंग एजेंसी की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ने से पिछले एक साल में सीएनजी के दाम 70 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। इसकी वजह से डीजल और सीएनजी के बीच कीमतों का अंतर काफी कम हो गया है जिससे लोग सीएनजी वाहनों की तरफ बढ़ने से परहेज करने लगे हैं। इंडिया टीवी की भी एक रिपोर्ट में सामने आया था कि करीब 8 महीनों से स्थिर रहने के बाद भी डीजल की कीमतें सीएनजी के बराबर आ गई हैं।
लोग कर रहे CNG वाहनों से तौबा
इक्रा रेटिंग्स ने बयान में कहा कि सीएनजी वाहनों के इस्तेमाल से परिचालन लागत में होने वाली बचत इसके दाम बढ़ने से डीजल की तुलना में कुछ खास नहीं रह गई है। इसकी वजह से घरेलू वाणिज्यिक वाहन क्षेत्र में सीएनजी के इस्तेमाल में चालू वित्त वर्ष में गिरावट देखने को मिली है, खासकर मझोले वाणिज्यिक ट्रक खंड में यह गिरावट काफी गहरा गई है।
घट रही है CNG की हिस्सेदारी
रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘सीएनजी से चलने वाले वाहनों का कुल वाहनों में हिस्सा भी वित्त वर्ष 2021-22 के 38 प्रतिशत से घटकर 2022-23 के पहले आठ माह में 27 प्रतिशत रह गया है।’’ हालांकि, यात्री वाहन खंड में सीएनजी को लेकर स्वीकार्यता बनी हुई है। इक्रा ने कहा कि सीएनजी के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों का भी इस्तेमाल बढ़ने का सिलसिला आगे कायम रहने की उम्मीद है।