बारिश के दिनों में कोयला खदानों में पानी भर जाने के कारण कोयले का खनन नहीं हो पाता, जिसके चलते बिजली घरों के सामने कोयले का संकट गहरा जाता है। लेकिन इस साल सबक सीखते हुए सरकार ने कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश की है। कोयला मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार बिजली उत्पादन संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति जुलाई में 17.09 प्रतिशत बढ़कर 584.5 लाख टन हो गई।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार बिजली की मांग बढ़ने से कोयले की आपूर्ति में वृद्धि की गई। सरकार ने बिजली संयंत्रों में कोयले की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पिछले कुछ महीनों में कई उपाय किए हैं। कोयला मंत्रालय के शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, बिजली कंपनियों को जुलाई, 2021 में कुल 499.2 लाख टन कोयला भेजा गया था।
देश में कोयले की कुल सप्लाई पिछले वित्त वर्ष के इसी महीने में 624.9 लाख टन था। इसकी तुलना में जुलाई, 2022 में यह आंकड़ा 8.51 प्रतिशत बढ़कर 678.1 लाख टन हो गया। जुलाई में कुल कोयला उत्पादन 11.37 प्रतिशत बढ़कर 604.2 लाख टन हो गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 542.5 लाख टन था।
इससे पहले सरकार ने कोल इंडिया (सीआईएल) को बिजली संयंत्रों में ईंधन की कमी से बचने और बफर स्टॉक बनाने के लिए एक आपातकालीन उपाय के रूप में कोयले का आयात करने का निर्देश दिया था। सीआईएल का भारत के कोयला उत्पादन में 80 प्रतिशत से अधिक का योगदान है।