सरकार ने मंगलवार को निर्दिष्ट सीमा शुल्क स्टेशनों के जरिये 1,000 टन तक काला नमक चावल के निर्यात की परमिशन दे दी है। काला नमक गैर-बासमती चावल की एक किस्म है, जिसका एक्सपोर्ट (निर्यात) प्रतिबंधित है। भाषा की खबर के मुताबिक, विदेश व्यापार महानिदेशालय ने एक नोटिफिकेशन में कहा कि इस नोटिफिकेशन के लागू होने की तारीख से निर्दिष्ट सीमा शुल्क स्टेशनों के माध्यम से 1,000 टन की सीमा तक ही काला नमक चावल की कुल मात्रा के निर्यात की अनुमति है।
छह सीमा शुल्क स्टेशन
खबर के मुताबिक, काला नमक चावल और उसकी मात्रा के सर्टिफिकेशन के लिए अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता कृषि विपणन और विदेश व्यापार, लखनऊ के निदेशक होंगे। चावल की इस किस्म के निर्यात को छह सीमा शुल्क स्टेशनों के माध्यम से अनुमति दी गई है - वाराणसी एयर कार्गो; जेएनसीएच (जवाहरलाल नेहरू कस्टम्स हाउस), महाराष्ट्र; सीएच (कस्टम हाउस) कांडला, गुजरात; एलसीएस (भूमि सीमा शुल्क स्टेशन) नेपालगंज रोड; एलसीएस सोनौली; और एलसीएस बरहनी।
क्या होता है काला नमक चावल
गैर-बासमती चावल की एक किस्म वाला यह चावल सम्राट का चावल भी कहलाता है। इसे बेहतर पोषण मूल्य के कारण जाना जाता है। काला नमक चावल अपनी गुणवत्ता विशेषताओं के कारण एक बेहतर विकल्प माना जाता है। काला नमक चावल की खेती ट्राई बेल्ट में की जाती है, जो मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर, गोरखपुर और गोंडा तक फैली हुई है। यूं कहें कि पूर्वोत्तर उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र के 11 जिलों और नेपाल में उगाया जाता है।
काला नमक चावल में भरपूर आयरन और जिंक जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, इसलिए यह मधुमेह वाले लोगों के लिए भी बेहतर होता है। धान की दूसरी किस्मों के मुकाबले इसमें प्रोटीन की मात्रा भी ज्यादा होती है। यह धान करीब 140 से 150 दिन में तैयार होता है। देर से तैयार होने के चलते काला नमक धान की फसल को अन्य धान की किस्मों के मुकाबले पानी की ज्यादा जरूरत होती है।