Highlights
- खुदरा महंगाई सितंबर में बढ़कर 7.41 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई
- खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति इस साल सितंबर में बढ़कर 8.60 प्रतिशत हो गई
- ईंधन और बिजली की महंगाई दर सितंबर में 11.44 फीसदी पहुंच गई
महंगाई की आग में एक बार फिर विस्फोट हुआ है। खाद्य पदार्थों के महंगा होने से खुदरा महंगाई सितंबर में बढ़कर 7.41 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई। जबकि अगस्त में महंगाई की दर 7 प्रतिशत और इससे पहले जुलाई में घटकर 6.7 प्रतिशत पर आ गई थी। यह लगातार 9वां महीना है जब खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दो से छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है।
खाने पीने के सामान हुए महंगे
बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई सितंबर में 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई। जबकि सितंबर 2021 में 4.35 प्रतिशत थी। खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति इस साल सितंबर में बढ़कर 8.60 प्रतिशत हो गई, जो अगस्त में 7.62 फीसद थी। इससे पहले आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि चालू वित्त वर्ष की शुरुआत में आयातित मुद्रास्फीति का दबाव अब कम हो गया है, लेकिन खाद्य और ऊर्जा वस्तुओं में यह दबाव अभी भी बना हुआ है।
किस सेक्टर में कितनी महंगाई
महंगाई में 40 फीसदी के साथ सबसे बड़ी हिस्सेदारी निभाने वाले खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर सितंबर में सालाना आधार पर बढ़कर 8.60 फीसदी पहुंच गई, जबकि अगस्त में खाद्य उत्पादों की महंगाई दर 7.62 फीसदी थी। इसके अलावा ईंधन और बिजली की महंगाई दर सितंबर में 11.44 फीसदी पहुंच गई, जो अगस्त में 10.78 फीसदी थी। सीमेंट, कोयला सहित कोर सेक्टर की महंगाई दर भी सितंबर में 6.1 फीसदी पहुंच गई, जो एक महीने पहले तक 5.90 फीसदी थी
कौन सा सामान कितना महंगा
सामान | अगस्त | सितम्बर |
अनाज | 9.57% | 11.53% |
मीट मछली | 0.98% | 2.55% |
दूध | 6.39% | 7.13% |
खाने का तेल | 4.6% | 0.37% |
फल | 7.39% | 5.68% |
सब्जी | 13.23% | 18.05% |
दालें | 2.52% | 3.05% |
मसाले | 14.90% | 16.88% |
सॉफ्ट ड्रिंक | 4.26% | 4.12% |
पान तंबाकू | 1.67% | 1.98% |
कपड़े जूते | 9.91% | 10.17% |
फ्यूल एंड लाइट | 10.78% | 10.39% |
फिर बढ़ेंगी ब्याज की दरें
रिजर्व बैंक महंगाई को थामने के लिए लगातार ब्याज दरें बढ़ा रहा है, लेकिन महंगाई थमनेका नाम नहीं ले रही है। मुद्रास्फीति के छह प्रतिशत से अधिक रहने पर आरबीआई को केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट देनी होगी। इस रिपोर्ट में आरबीआई को बताना होगा कि वह खुदरा मुद्रास्फीति को दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने में क्यों विफल रहा। केंद्र सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि खुदरा मुद्रास्फीति दो से छह प्रतिशत के दायरे में बनी रहे।