अडानी समूह की मुश्किल फिलहाल खत्म होती नहीं दिख रही हैं। हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद भूचाल का सामना कर रहे समूह के शेयर ताश के पत्तों की तरह ढह रहे हैं। दूसरी ओर कल रात समूह ने अपना बहुप्रतीक्षित एफपीओ पूरी तरह से सब्सक्राइब होने के बाद भी वापस ले लिया। इसके बावजूद कंपनी के शेयरों में गिरावट जारी है। इस बीच अडानी समूह को लोन देने वाले बैंकों की टेंशन भी बढ़ रही है। अडाणी समूह पर विभिन्न देशी व विदेशी बैंकों और वित्तीय संस्थाओं का 80 हजार करोड़ का लोन है। जो समूह के कुल कर्ज का 38 फीसदी है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार अडानी समूह में गिरावट को देखते हुए RBI (भारतीय रिजर्व बैंक) ने स्थानीय बैंकों से अडानी समूह की कंपनियों, सरकार और बैंकिंग स्रोतों में उनके जोखिम का विवरण मांगा है। रिजर्व बैंक ने सभी बैकों से पूछा है कि उन्होंने अडानी समूह को किस क्षेत्र में और कितना लोन दिया है और अभी उसके कितने कर्ज की वापसी हो गई है।
भारतीय स्टेट बैंक ने जानिए क्या कहा
अडानी समूह को लेकर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के तुरंत बात देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने रिस्पॉन्स दिया था। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि अडाणी समूह को दिया गया कर्ज भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बड़े एक्सपोजर फ्रेमवर्क से काफी कम है। हालांकि, एसबीआई ने समूह के लिए अपने जोखिम की राशि पर कोई टिप्पणी नहीं की। सूत्रों के अनुसार बैंकों ने अडाणी समूह के जिन प्रोजेक्ट को कर्ज दिया है वहां से कैश फ्लो अच्छा बना हुआ है।
जानिए कितना लगा है LIC पैसा
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने बीते हफ्ते सोमवार को कहा कि अडाणी समूह के बॉन्ड और इक्विटी में उसके 36,474.78 करोड़ रुपये लगे हैं और यह राशि बीमा कंपनी के कुल निवेश का एक फीसदी से भी कम है। एलआईसी की प्रबंधन के अधीन कुल परिसंपत्ति सितंबर 2022 तक 41.66 लाख करोड़ रुपये से अधिक थी।
कंपनी को 100 बिलियन डॉलर का घाटा
अडानी की कंपनियों में बीते एक सप्ताह से लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। इस भयंकर नुकसान के चलते कंपनी का मार्केट कैप भी 100 बिलियन से ज्यादा टूट चुका है। इसी के साथ गौतम अडानी भी रईसों की सूची में नीचे खिसक गए हैं। पिछले एक हफ्ते में जिस तेजी के साथ अडानी की संपत्ति में गिरावट आई है, वह दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति से फिसलकर 15वें पायदान पर आ गए हैं।