खुदरा बाजार में अरहर दाल की 130 रुपये किलो प्रति किलो पहुंच गई है। वहीं, उड़द की दाल भी 120 से 130 रुपये प्रति किलो मिल रही है। यह आम लोगों पर बजट बढ़ाने का काम कर रही है। इसी को देखते हुए सरकार ने सख्त रुख उपनाया है। सरकार ने स्टॉक घोषणा से बचने के लिए मिलरों और व्यापारियों द्वारा अपने गोदामों में अरहर और उड़द दाल के स्टॉक की बड़े पैमाने पर जमाखोरी का पता लगाया है। जमीनी हकीकत का जायजा लेने के लिए कर्नाटक, मध्य प्रदेशए महाराष्ट्र और तमिलनाडु में केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा गठित एक टीम द्वारा तलाशी अभियान चलाए जाने के बाद पता चला कि ई-पोर्टल पर पंजीकरण और स्टॉक डिस्क्लोजर की संख्या बढ़ रही है। बाजार के खिलाड़ियों की पर्याप्त संख्या या तो पंजीकृत नहीं है या नियमित आधार पर अपने स्टॉक की स्थिति को अपडेट करने में विफल रही है। सरकार के इस कदम के बाद माना जा रहा है कि दालों की जमाखोरी में कमी आएगी और बाजार में स्टाॅक बढ़ेंगे, जिससे कीमतें कम करने में मदद मिलेगी।
इन जगहों पर की गई छापेमारी
विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने इंदौर, चेन्नई, सेलम, मुंबई, अकोला, लातूर, शोलापुर, कालबुर्गी, जबलपुर और कटनी जैसे विभिन्न स्थानों का दौरा किया और राज्य सरकारों, मिलर मालिकों, व्यापारियों, आयातकों तथा बंदरगाह प्राधिकरणों के अधिकारियों के साथ मिलर मालिकों, आयातकों और व्यापारियों के संघों के साथ बातचीत तथा बैठक आयोजित की है। मंत्रालय का कहना है कि बाजार के प्रतिनिधियों को भंडार की घोषणा के महत्व के बारे में जागरूक किया गया था और उन्हें अपने भंडार को सच्चाई एवं नियमित रूप से घोषित करने के लिए कहा गया थाए अन्यथा राज्य सरकार द्वारा जब्ती और अघोषित भंडार को जब्त करने जैसी कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
आयात कर भी कीमत कम करने की कोशिश
आयातक संघ के पदाधिकारियों ने सूचित किया कि तेलंगाना, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे अन्य राज्यों के व्यापारी भी चेन्नई बंदरगाह से अरहर दाल का आयात कर रहे हैं और उन्होंने आयातकों के राज्य में या आयात प्राप्त करने वाले राज्य में अपनी रिपोर्टिग, डेटा का दोहराव नहीं होना सुनिश्चित करने के बारे में स्पष्टीकरण का अनुरोध किया। यह स्पष्ट किया गया था कि भंडार को उस राज्य में रिपोर्ट किया जाना चाहिए, जहां यह भौतिक रूप से उपलब्ध या भंडारण किया गया है।