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रिलायंस ने रूस की सरकारी तेल कंपनी के साथ की 10 साल की डील, जानिए कितनी बड़ी मात्रा में खरीदा जाएगा तेल

दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता और आयातक देश भारत ने अक्टूबर में रूस से दो अरब यूरो मूल्य का कच्चा तेल खरीदा। यह पिछले महीने के 2.4 अरब यूरो से कम है। चीन ने अक्टूबर में रूस के कच्चे तेल के निर्यात का 47 प्रतिशत खरीदा।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published : Dec 12, 2024 20:39 IST, Updated : Dec 12, 2024 20:39 IST
क्रूड ऑयल- India TV Paisa
Photo:FILE क्रूड ऑयल

उद्योगपति मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने रूस की रोसनेफ्ट से 10 साल के लिए प्रति वर्ष 12-13 अरब डॉलर मूल्य का क्रूड ऑयल आयात करने का समझौता किया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। रूस की सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी रोसनेफ्ट रिलायंस को प्रतिदिन 5,00,000 बैरल (2.5 करोड़ टन सालाना) तक कच्चे तेल की आपूर्ति करेगी। मौजूदा कीमतों पर 10 साल का सौदा सालाना 12-13 अरब डॉलर का बैठता है। इस बारे में पूछे जाने पर रिलायंस के प्रवक्ता ने कहा, रूस वर्तमान में भारत को कच्चे तेल का सबसे बड़ा सप्लायर है।

रूस से जमकर तेल खरीद रहा भारत

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम अपनी रिफाइनरी के लिए कच्चे तेल की खरीद को लेकर रूस सहित कई अंतरराष्ट्रीय सप्लायर्स के साथ हमेशा जुड़े रहते हैं। बाजार की स्थिति के अनुसार कार्गो की संख्या अर्थव्यवस्था के आधार पर अलग-अलग होंगी।’’ रूस के फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद से भारत रूसी कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। युद्ध से पहले आयातित कुल तेल में रूस की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम थी, जो अब लगभग 40 फीसदी तक हो गयी है। इस वृद्धि का मुख्य कारण रूस पर लगायी गयी प्राइस कैप और यूरोपीय देशों की वहां से खरीद से बचना है। इससे रूसी कच्चा तेल अन्य अंतरराष्ट्रीय बाजार से होने वाली सप्लाई की तुलना में डिस्काउंट पर उपलब्ध है।

चीन के बाद भारत खरीद रहा सबसे ज्यादा रूसी तेल

दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता और आयातक देश भारत ने अक्टूबर में रूस से दो अरब यूरो मूल्य का कच्चा तेल खरीदा। यह पिछले महीने के 2.4 अरब यूरो से कम है। चीन ने अक्टूबर में रूस के कच्चे तेल के निर्यात का 47 प्रतिशत खरीदा। उसके बाद भारत (37 प्रतिशत), यूरोपीय संघ (6 प्रतिशत) और तुर्की (6 प्रतिशत) का स्थान रहा। रिलायंस के पास गुजरात के जामनगर में दो रिफाइनरियां हैं, जो कच्चे तेल को रिफाइन कर उसे पेट्रोल और डीजल में बदलती हैं। कंपनी यूरोप और अन्य देशों को फ्यूल बेचती है। रूसी कच्चे तेल पर मूल्य सीमा जरूर लगायी गयी है, लेकिन पूर्ण मूल्य पर ईंधन निर्यात की अनुमति है।

जामनगर में एक रिफाइनरी सिर्फ निर्यात के लिए

रिलायंस के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी गोपनीय प्रकृति के किसी भी सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट के विवरण के बारे में टिप्पणी नहीं करती है। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘इस तरह की कोई भी आपूर्ति मौजूदा पाबंदी नीतियों के अनुरूप है।’’ रिलायंस ने पहले रोसनेफ्ट से प्रति माह कम से कम 30 लाख बैरल तेल खरीदने का एक साल का सौदा किया था। जामनगर में रिलायंस की दो रिफाइनरियों में से एक केवल निर्यात के लिए है। यह 5,80,000 बैरल प्रति दिन क्षमता की इकाई उत्पादित सभी ईंधन का निर्यात करती है। अन्य 6,60,000 बैरल प्रतिदिन वाली इकाई घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए है।

(पीटीआई/भाषा के इनपुट के साथ)

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