सरकारी क्षेत्र की रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी सेकी ने Reliance Power को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में पूछा गया है कि फर्जी बैंक गारंटी जमा करने के लिए कंपनी और उसकी इकाई के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए। सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) ने पिछले सप्ताह अपनी बोलियों में फर्जी दस्तावेज जमा करने को लेकर रिलायंस पावर और उसकी इकाई रिलायंस एनयू बीईएसएस को उसकी निविदाओं में भाग लेने से रोक दिया था। बताते चलें कि पिछले 5 दिनों में रिलायंस पावर का स्टॉक 13.40% टूटकर 36.01 रुपये पर पहुंच गया है।
साजिश की शिकार हुई है कंपनी
इस बीच, रिलायंस पावर ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि वह ‘धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े’ की साजिश का शिकार रही है। रिलायंस पावर ने कहा, ‘‘इस संबंध में 16 अक्टूबर, 2024 को तीसरे पक्ष के खिलाफ दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के पास एक आपराधिक शिकायत पहले ही दर्ज करायी जा चुकी है। इसके आधार पर 11 नवंबर, 2024 को प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की गई है। मामला जांच के अधीन है और कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।’’ सेकी ने 13 नवंबर को जारी एक नोटिस में कहा कि बोली जमा करने के तहत एक विदेशी बैंक गारंटी के रूप में फर्जी दस्तावेज जमा किया गया। बोली जमा करने के तहत जमा बैंक गारंटी रिलायंस एनयू बीईएसएस लि.(जिसे महाराष्ट्र एनर्जी जनरेशन लि.के नाम से जाना जाता है) ने दी थी, वह फर्जी थी।
बोलीदाता ने फर्जी बैंक गारंटी जमा किया
सेकी ने नोटिस में कहा, बोलीदाता ने फर्जी बैंक गारंटी को उसके नकली दस्तावेज के समर्थन के साथ बार-बार जमा किया। यह माना जा सकता है कि यह काम जानबूझकर किया गया। इसका उद्देश्य निविदा प्रक्रिया को खराब करना और धोखाधड़ी के माध्यम से परियोजना को हासिल करना था।’’ सेकी ने रिलायंस पावर लि.और रिलायंस एनयू बीईएसएस लि.को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इसके जरिये उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है कि धोखाधड़ी और फर्जी कार्यों को देखते हुए उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही क्यों नहीं शुरू करनी चाहिए। नोटिस के अनुसार, रिलायंस एनयू बीईएसएस ने कथित तौर पर फर्स्ट रैंड बैंक की मनीला (फिलिपीन) शाखा की तरफ से जारी बैंक गारंटी को जमा किया। मामले की विस्तार से जांच करने पर उक्त बैंक की भारतीय शाखा ने पुष्टि की कि फिलिपीन में बैंक की ऐसी कोई शाखा नहीं है। इस आधार पर सेकी ने निष्कर्ष निकाला कि प्रस्तुत बैंक गारंटी फर्जी थी।